

पुस्तक समीक्षा
कथा लेखन में हास्य व्यंग्य की सरसता के साथ जीवन के यथार्थ का चित्रण
राजीव कुमार झा
पुस्तक का नाम : मन बोहेमियन ।
कथाकार : राम नगीना मौर्य ।
पहला संस्करण : 2021 ।
सहयोग राशि :180 रुपये मात्र
प्रकाशक : रश्मि प्रकाशन ,
लखनऊ – 226023
आवरण : अशोक भौमिक ,
भीतरी रेखांकन : संदीप राशिनकर
सुपरिचित कहानीकार रामनगीना मौर्य के प्रस्तुत कहानी संकलन ‘ मन बोहेमियन ‘ में संकलित तमाम कहानियाँ बेहद तल्ख अंदाज और भाषा शैली में वर्तमान परिवेश में व्याप्त सामाजिक विसंगतियों को अपने कथ्य और विषयवस्तु में समेटती हैं और संवेदना के धरातल पर इनमें कथाकार गिरगिट की तरह निरंतर रंग बदलती मनुष्य की मौजूदा जीवन परिस्थितियों का मुआयना करता प्रतीत होता है . आलोचना में कहानी को अक्सर समाज का आईना कहा जाता है और इस संदर्भ में इस संग्रह की सारी कहानियाँ अपनी गहरी अर्थवत्ता में वर्तमान दौर में आदमी की जिंदगी में विचारशून्यता – भावहीनता के दलदल के चतुर्दिक गहराते जिंदगी के झूठ – आडंबर उसके रुपहले मायाजाल में तार – तार होती मनुष्य के मन की पीड़ा – व्यथा को विचार विमर्श के धरातल पर उजागर करती हैं . इससे इन कहानियों की सार्थकता और सोद्देश्यता भलीभाँति प्रमाणित होती है और कहानीकार अपनी लेखकीय प्रतिबद्धता में मानवीय उत्पीड़न के विरुद्ध समाज के विभिन्न तबकों के सामान्य लोगों के जीवन संघर्ष को भी रेखांकित करने में संलग्न दिखायी देता है . विशुद्ध यथार्थवादी शैली में हर तरह के लागलपेट से दूर जिंदगी की दुरुह पेंच में घिरे आज के जटिल समय और समाज की कसमाहट को गहरी व्यंग्यभाव से बेधती इन कहानियों में प्रवाहित चिंतनशीलता भाव विचार के धरातव पर इस संग्रह की समग्र कहानियों को जीवन के प्रामाणिक पाठ का रूप प्रदान करता है . रामनगीना मौर्य प्रगतिशील चेतना के कहानीकार है और लेखक के रूप में युगधर्म के निर्वहन में उन्हें इन कहानियों में सचेतनता से उपस्थित देखा जा सकता है .
समाज के अनेकानेक कोनों – अंतरों में वर्तमान जिंदगी के देखे -अनदेखे सच को कथाफलक पर उकेरती इस संग्रह की कहानियों में ‘ गार्जियन ‘ शीर्षक कहानी की चर्चा इस प्रसंग में समीचीन है और इसमें लेखक ने महानगरीय समाज और यहाँ के कारपोरेट सेक्टर के लोगों के कार्य व्यापार और जिंदगी में फैले यौन अपसंस्कृति और इसके घृणित उपभोक्तावादी मूल्यों को कथानक के ताने – बाने में समेटा गया है . इस कहानी में किसी बड़े कारोबारी फर्म का मालिक कपूर साहब अपनी एक फैक्ट्री में आगजनी के शिकार अपने किसी कर्मचारी की बेहद पढ़ी – लिखी योग्य सुंदर बेटी अनन्या को अनुकंपा आधारित नौकरी प्रदान करके पारिवारिक संकट में संबल प्रदान करता है लेकिन इस कहानी के अगले घटनाचक्र में वह अपनी कंपनी में आने वाले बिजनेस डेलीगेट्स के लिए अनन्या को सेक्स आब्जेक्ट के रूप में भी इस्तेमाल करने के घृणित पड्यंत्र में शामिल दिखायी देता है . इस कहानी में उसकी घटिया मनोवृत्ति पर कपूर को फटकार लगाती अनन्या एक स्वाभिमानी और समझदार लड़की के रूप में कामकाजी युवा लड़कियों को सच्चरित्रता की प्रेरणा देती नजर आती है . राम नगीना मौर्य की इन कहानियों में मौजूदा दौर का यथार्थ जीवन की ऐसी कई विडंबनाओं की पहेलियों को साफगोई से सुलझाता कहानी के भीतर आज के जीवन की विषम स्थितियों में आदमी को अपनी आत्मा में आस्था कायम करने का संदेश देता है और यहाँ कहानी में आदर्श का समावेश रचनातत्व के रूप में सार्थकता को भी प्रकट करता प्रतीत होता है .
राम नगीना मौर्य की कहानियों में शहरी परिवेश और यहाँ आदमी की जिंदगी में सहजता से समायी प्रिय -अप्रिय परिस्थितियों की नोंक झोंक मनुष्य के मनोविज्ञान और उससे जुड़े सरल – जटिल यथार्थ को कई स्तरों पर रेखांकित करती हैं और इनमें नगरीय जीवन की यांत्रिकता में चतुर्दिक घिरे मन की पीड़ा और व्यथा जीवनाभूतियों के रूप में मनुष्य के मन की ऊब ,
उसके तनाव को भी किस्सागोई का रूप प्रदान करती हैं . इस नजरिए से प्रस्तुत कहानी संग्रह की कुछ कहानियों को आद्योपांत पढ़ना रोचक अनुभव के समान लगता है . इन्हें पढ़ते हुए कुछ आपबीती कुछ जगबीती की उक्ति प्रत्यक्षत:
चरितार्थ होती है और घर आँगन , कालोनी -मुहल्ले , बाजार – दफ्तर के बीच की व्यस्तता में आदमी के जीवन में रोजनामचे की तरह पसरती रिक्तता के बीच उसकी खीज , झुँझलाहट और नाना प्रकार के अनपेक्षित झमेलों से सबब किसी अंतहीन कथा के रोचक अध्याय के शुरुआती पन्नों के समान पठनीय प्रतीत होता है . इस तथ्य के मद्देनजर मौजूदा संकलन की कुछ कहानियाँ शीर्षक घड़ी , गलतफहमी और शिकार शहरी जिंदगी में आदमी के अकेलेपन अकारण परिस्थितियों से उसका मनमुटाव इससे उभरने वाले संत्रास को कहानी की विषयवस्तु में बखूबी समेटती हैं और व्यंग्य की मीठी धार से इन कहानियों के फलक पर उजागर होने वाली जीवनानुभूतियाँ सरसता के साथ वर्तमान दौर के जटिल जीवनानुभवों से सबको रूबरू कराती हैं .
राम नगीना मौर्य मूलत : वर्तमान सामाजिक परिवेश के यथार्थ को प्रकट करने वाले कहानीकार हैं और इनकी तमाम कहानियों में उपस्थित होने वाले चरित्र अपनी जीवनशैली और मानसिकता में आत्मकेंद्रित प्रवृत्तियों को प्रदर्शित करते जीवन के सामाजिक सरोकारों से दूर स्थित प्रतीत होते हैं और इस प्रकार इनकी कहानियाँ निम्न मध्यमवर्गीय तबकों के जीवनानुभवों से प्रत्यक्षत : कथानक को निरंतर रचती – गढ़ती आकार ग्रहण करती हैं . इस प्रक्रिया में स्वभावत : घर परिवार का वातावरण सहजता से यहाँ दस्तक देता दिखायी देता है और अक्सर यहाँ के निरापद माहौल में आदमी के जीवन की छोटी – बड़ी खुशियाँ उसके हर तरह के सुख -दुख में पत्नी , बाल बच्चों के स्नेहिल संस्पर्श में तन – मन बेहद सुकून देती यथार्थ के रूप में जीवन की नयी विडंबनाओं से हमारा साक्षात्कार कराती हैं . इस संकलन की कुछ प्रारंभिक कहानियाँ इस तरह के कथानक को लेकर लिखी गयी हैं और इनमें’
‘ गोद ‘ शीर्षक कहानी की चर्चा समीचीन है . यह इस कहानी संकलन की पहली कहानी है जिसमें कहानी के प्रमुख पात्र के रूप में कोई दफ्तरी बाबू आफिस से लौटने के बाद छोटी कक्षा में पढ़ने वाले अपने बेटे के वक्त गुजारती पत्नी पर दफ्तर से घर लौटने के बाद अपनी उपेक्षा का आरोप लगाता है और इसके लिए अबोध बेटे पर भी नाराज हो जाता है .
हमारे समाज में आज भी लाखों लोग असहाय परिस्थितियों में जीवनयापन करते दिखायी देते हैं और विषम परिस्थितियों में उनके एकाकी जीवन के दुखद यथार्थ को जानना – समझना काफी कठिन है . आजादी से पहले प्रेमचंद ने ‘ कफन ‘
कहानी के माध्यम से समाज के इस तबके के लोगों की जीवनदशा की ओर ध्यान आकृष्ट कराया था . इस कथा संकलन में राम नगीना मौर्य की कहानी ‘ मदद ‘ की कथावस्तु में भी इसी यथार्थ का समावेश है . इस कहानी में गरीब सोमारू अपनी पत्नी रामदेई के इलाज में हास्पिटल के खर्चे को येनकेनप्रकारेण जुटाने के बाद पत्नी की मृत्यु के बाद कंगाल बना पत्नी को श्मशान ले जाने में भी असमर्थ बना दिखायी देता है और जीवन के इस दुसह काल में रिक्शेवाले की मदद से रामदेई का दाहकर्म वह संपन्न करता है .
राम नगीना मौर्य की इन तमाम कहानियों में आदमी के भीतर बाहर की दुनिया का चित्र सजीवता से हर पन्ने में वर्तमान दौर की कथा को विस्तार देता है और डिटेल्स के रूप में इसमें नाटकीय भाषा शैली का प्रयोग जीवन के तमाम सहज – असहज रूपों को रोचक मुहावरे में कथा फलक पर जीवंत करते हैं . इस कथा संकलन की प्रतिनिधि कहानी ‘ मन बोहेमियन ‘ आज के रोजमर्रा की जिंदगी में आदमी के साथ जिंदगी में सतत संलग्न रहने वाली छोटी – बड़ी परेशानियों के बीच उसके रात – दिन के कवायद के लंबे किस्से का जिक्र लेखक के कुछ वैयक्तिक बयान में करती है लेकिन परोक्षत: आज के समय और समाज की रोज ब रोज बदलती घटनाओं के बीच इसमें हम सबकी व्यथा का समावेश है . इस कथा संकलन की कुछ अन्य कहानियाँ गण – पूर्ति का खेल और मच्छर महात्म्य भी इस प्रसंग में पठनीय हैं .
– राजीव कुमार झा
इंद्रपुर

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।

शानदार