21 वीं शताब्दी में मशीन ताकतवर और मनुष्य कमजोर होता जा रहा है-अशोक जमनानी 

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21 वीं शताब्दी में मशीन ताकतवर और मनुष्य कमजोर होता जा रहा है-अशोक जमनानी 

इटारसी।
21 वीं शताब्दी में हर काम मोबाइल और कम्प्युटर से हो रहा है। मशीनों की कृत्रिम बुद्धिमता से मनुष्य का सोचना कम होता जा रहा है और मनुष्य का काम मशीनें करने लगी है। गांधीजी कहते थे मशीनें राक्षस का काम करती है क्योंकि इनसे लाखों लोग बेरोजगार हो जाते हैं। राशन के भोजन से लोगों के पेट तो भर जाते हैं परंतु उनका स्वाभिमान खत्म हो जाता है। उक्त विचार वरिष्ठ साहित्यकार अशोक जमनानी ने बापू प्रवास स्मृति कक्ष सेठ लखमीचंद गोठी धर्मशाला इटारसी द्वारा आयोजित कार्यक्रम  21 वीं सदी में गांधी दर्शन में व्यक्त किये।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं विधायक डॉ.सीतासरन शर्मा, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी करणसिंह तोमर, पूर्वमंत्री विजय दुबे काकूभाई उपस्थित थे। इन अतिथियों द्वारा सर्वप्रथम बापू प्रवास कक्ष में जहां 1933 में गांधीजी आकर रूके थे में गांधी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और गांधीजी के जीवन एवं कार्य से संबंधित चित्रों का अवलोकन किया।
इटारसी के नागरिकों को संबोधित करते हुए श्री जमनानी ने आगे कहा कि महात्मागांधी ने परमाणु के जमाने में चरखे और सूत से दुनिया की समस्याओं का समाधान किया था। पिछली शताब्दी में उद्योगीकरण से विश्वयुद्ध हुए। इस शताब्दी में विश्व के देशों को मालूम नहीं कि उन्हें क्या करना है और कहां जाना है। इसलिए अफगानिस्तान से कई वर्षों के बाद अमेरिका को वापस लौटना पड़ा। आपने आगे कहा कि जब लोगों ने गांधीजी से कहा था कि आप राजनीति क्यों करते हैं? तो उन्होंने कहा था कि ईश्वर ने सभी कुछ बनाया है और राजनीति भी ईश्वर ने बनाई होगी तो उससे नफरत कैसे की जा सकती है। गांधीजी मानते थे कि अंग्रेज भारत से चले जाये परंतु उनके बनाये गये कानून और व्यवस्था तथा स्वभाव भी भारत से बाहर चले जाना चाहिए।
इस समय गांधी के देश में खादी भंडार बंद हो रहे हैं, गांधी जी कहा करते थे अगर हमारा संकल्प मजबूत हो तो हम मशीनों पर विजय पा सकते है। आजादी के पहले भारतीयों ने ईष्ट इंडिया कंपनी को कंपनी बहादुर बना दिया था। आज इस 21 वीं शताब्दी में भारत की 10 बड़ी कंपनियां जिनका बजट भारत सरकार के बजट से भी बड़ा हो गया है। कंपनी बहादुर बनती जा रही है। आजकल विज्ञान और तकनीकी में वहीं बनाया जाता है जो बाजार चाहता है और यह बाजार लोगों की खरीदने की भूख बढ़ाता रहता है। आजादी के बाद बाजार दर कम हो गई है और भूख की दर बढ़ गई है। गांधीजी कहते थे भूख बढ़ाने की नहीं संतुलित करने की चीज है। हमारे देश में कुछ मुठ्ठीभर पूंजीपति देश के मालिक बन रहे हैं परंतु गांधीजी चाहते थे देश का हर आदमी देश का मालिक बने। इसके बाद प्रो.कश्मीर उप्पल ने 21 वीं शताब्दी की अवधारणा पर अपने विचार व्यक्त किये।  
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ.सीतासरन शर्मा ने कहा कि नैतिक मूल्यों से ही समाज बचेगा चाहे वह राजनीति का क्षेत्र हो, प्रशासनिक अथवा जीवन का कोई भी क्षेत्र हो। अब जो खतरा बढ़ा है वह उत्तर आधुनिक काल का है। मैं सुधीर गोठी का आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने विचारों को प्रेरित करने वाला इस तरह का कार्यक्रम आयोजित किया। विशिष्ट अतिथि विजय दुबे काकूभाई ने कहा कि महात्मागांधी जयंती के साथ प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की भी जयंती है। इन दोनों महान व्यक्तित्वों का ही भारत के निर्माण में बहुत बड़ा योगदान है। आपने कहा कि आज करणसिंह तोमर का जन्मदिन भी है, ईश्वर इन्हें दीर्घायु करें।
कार्यक्रम में लक्ष्मीचंद गोठी धर्मशाला ट्रस्ट की ओर से वरिष्ठ साहित्यकार श्री अशोक जमनानी को स्मृतिचिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का संचालन सुनील बाजपेई ने तथा आभार प्रदर्शन सुधीर गोठी ने किया।
इस अवसर पर इटारसी एवं आसपास का प्रबुद्धवर्ग बड़ी संख्या में उपस्थित था।

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