भारतीय संस्कृति के पुरोधा “स्वामी विवेकानंद योग विज्ञान अनुसंधान” पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन सम्पन्न

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गंगा मंडल की संयोजिका डॉ. प्रतिभा तिवारी के सौजन्य से डिजिटल वेविनार का आयोजन

भारतीय संस्कृति के पुरोधा “स्वामी विवेकानंद योग विज्ञान अनुसंधान” पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन सम्पन्न

सागर।
‌भारतीय शिक्षण मंडल महाकौशल प्रांत महिला प्रकल्प, सागर गंगा मंडल की संयोजिका डॉ प्रतिभा तिवारी द्वारा “स्वामी विवेकानंद : योग विज्ञान और अनुसंधान” पर राष्ट्रीय वेबीनार आयोजित किया गया जिसका संचालन श्रीमती डॉ प्रतिभा तिवारी द्वारा किया गया। वेबिनार का शुभारंभ ध्येय वाक्य श्रीमती शोभा सराफ द्वारा ध्येय मंत्र श्रीमती आंचल गुप्ता एवं संगठन गीत पूजा केसरवानी तथा सरस्वती वंदना श्रीमती शैलबाला सुनरया द्वारा मधुर स्वर में प्रस्तुत की गई। विषय प्रवर्तक श्री सत्येंद्र त्रिपाठी , निदेशक-लोकनीति लखनऊ (उत्तरप्रदेश) ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी ने युग जीवन को नयी दृष्टि देकर कर्म चेतना को लोक कल्याणकारी रुप दिया।आज योग, विज्ञान और घर की हल्दी, छोटी-छोटी चीजों पर, दादी नानी के बताये नुस्खों का अनुसंधान कर दस्तावेजीकरण करने की आवश्यकता है। मुख्य अतिथि श्रीमती निधि जैन, प्रबंध सम्पादक आचरण दैनिक पत्र, सागर ने कहा कि विश्व शांति और हिंदू सनातन धर्म की संस्कृति को पश्चिम के पटल पर खोल देने वाले स्वामी विवेकानंद ने भारत को सहनशीलता और स्वीकार भाव का पाठ सिखाया। डॉ सरोज गुप्ता ने कहा कि विवेकानंद जी ने राष्ट्र निर्माण के लिए मानव को तैयार करने की शिक्षा दी।श्रीमती शोभा सराफ ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के अनुसार धर्म के सत्य का स्वानुभूति के आधार पर अनुभव करना यही धर्म विज्ञान है जिस विधा के द्वारा आत्मा परमात्मा का मिलन होता है उसका नाम योग है। डॉ स्वर्ण लता सराफ ने कहा आज के जीवन में दुख आना अच्छी बात है इससे छुटने के लिए ही मानव सत्य की खोज करता है। डॉ उषा मिश्रा ने कहा कि विवेकानंद जी के अनुसार जीवन सार यह है कि प्रत्येक आत्मा अव्यक्त ब्रह्म है बाह्य एवं अंत प्रकृति के वशीभूत कर आत्मा के इस ब्रह्म भाव को व्यक्त करना ही जीवन का चरम लक्ष्य है।
श्रीमती स्नेह लता जैन के अनुसार स्वामी विवेकानंद जी ने विदेश में जाकर सनातन धर्म का जो प्रतिनिधित्व किया वह अद्भुत था। श्रीमती अर्चना पाराशर ने कहा कि स्वामी जी ने योग को विज्ञान से जोड़कर नए आयाम स्थापित किए विज्ञान के अनुसंधान से हमने नव निर्माण की ओर कदम बढ़ाएं।पूजा केसरवानी ने कहा की धर्म की अवधारणा भारतीय संस्कृति के प्राण तत्व सर्व धर्म समभाव पर जो देती है । श्रीमती पूनम मेवाती के अनुसार स्वामी विवेकानंद का कथन है कि उठो जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त ना हो जाए । नीलू केसरवानी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी का मानना था कि अपने जीवन में एक संकल्प निश्चित करना चाहिए एवं अपना जीवन उसी पर न्यौछावरकर देना चाहिए तभी सफलता प्राप्त होगी।
डॉ प्रीति शर्मा के अनुसार विवेकानंद की मान्यता अहम् ब्रह्मास्मि की मौलिक अवधारणा संपूर्ण मानव जाति को अखंडता का आधार प्रदान करती है योग को लेकर उन्होंने जो विचार व्यक्त किए वह योग ज्ञान का एक तरह से आधुनिक भाष्य है रूपा राज के अनुसार विज्ञान का उद्देश्य बाह्य दृश्य मान विविधता के मध्य विद्यमान एक तत्व की खोज है। प्रीति केशरवानी ने कहा विवेकानंद जी कहते हैं जो अपने आप पर विश्वास नहीं करता वह नास्तिक है।
श्रीमती मनीषा मिश्रा के अनुसार विवेकानंद की योग शिक्षा का मुख्य उद्देश्य व्यक्तित्व विकास और विश्व निर्माण है सविता साहू ने कहा विवेकानंद जी मूर्ति भंजक थे गरीब और सामाजिक बुराई से ग्रस्त देश के हालात देखकर दुखी हुए। कार्यक्रम में महिला प्रकल्प की मातृशक्तियों ने सहभागिता की। श्रीमती अर्चना पाराशर ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।

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