

तीज
स्नेह है, सौंदर्य है, सौगात है,भीनी-भीनी खुशबू भी साथ है।
मन में बसा हर्षोल्लास हैं, तीज़ में कुछ तो बात है।
कहने को बस ये त्यौहार है, पर इसमें बस्ते जज्बात है,
अपनों का प्यार और पति-पत्नी का साथ है।
इसलिए ही कहते हैं कि इस व्रत में कुछ बात है।
हरा गगन है,हरा चमन है,छाई सिर्फ हरियाली है,
कितनी सुन्दर हरी चूड़ियां और कानो की बाली है।
चेहरे पर नूर भरा है,चमक रही पूजा की थाली है,
हाथों में मेहंदी दमके और चेहरे पर स्नेह की लाली है।
रौनक है, स्मृति है, अखंड ये संस्कृति है
जिंदगी है, प्रेम है , व्रत में ही समृद्धि है।
पति के लिए पत्नी की सौगात है,
इसलिए ही कहते हैं कि इस व्रत में कुछ बात है।
शानदार है, आलिशान है, संस्कृति से ही पहचान है,
प्यारी सी इस तीज़ में संबंधों की जान है।
ईश्वर की कृपा है, बड़ों की आशीर्वाद है,
इसलिए कहते हैं इस तीज का अलग ही अंदाज है।
लाल जोड़ा और सम्पूर्ण श्रिंगार है
शिव शक्ति की कृपा भी अपार है,
जाने कितनों का प्यार है,
ऐसा ये तीज़ का त्योहार है।
स्नेह है सौंदर्य है सौगात है, भीनी-भीनी खुशबू भी साथ है,
मन में बसा हर्षोल्लास हैं, तीज़ में कुछ तो बात है।
– सरस्वती कुमारी
पटना

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
