

शिक्षक दिवस के अवसर पर विशेष लेख :
समाज में शिक्षकों की भूमिका और उनका उत्तरदायित्व
शिक्षक समाज के सबसे महत्वपूर्ण वर्ग के नागरिक हैं और देश की नयी पीढ़ी के जीवन को दिशा देने में उनकी भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है . आधुनिक काल में भारत में नवीन शिक्षा का विकास हुआ . आजादी के बाद इस शिक्षा व्यवस्था को नया रूप प्रदान किया गया और इसमें पाश्चात्य विचारों के साथ भारतीय संस्कृति के तत्वों के समावेश पर भी ध्यान दिया गया . इस काल में शिक्षा को समाज का सबसे जरूरी विषय मानते हुए देश के सभी हिस्सों में काफी संख्या में स्कूल – कालेज और विश्वविद्यालयों की स्थापना की गयी . इससे विभिन्न कोटियों के शिक्षकों का एक विशाल वर्ग उभरकर सामने आया . हमारे देश में प्रतिवर्ष 5 सितंबर को सारे देश में शिक्षक दिवस मनाया जाता है . इसी दिन डा . एस . राधाकृष्णन का जन्म हुआ था .
हमारे देश में शिक्षक दिवस उनकी पावन जीवन स्मृति में मनाया जाता है . उन्होंने देश के राष्ट्रपति पद पर आसीन होने से पहले काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में महान शिक्षक के दायित्व का गुरुतर निर्वहन किया था और देश की शिक्षा संस्कृति में पाश्चात्य और भारतीय तत्वों के समन्वय से नये युग का सूत्रपात किया था . शिक्षक दिवस इसी परिप्रेक्ष्य में शिक्षकों की भूमिका को रेखांकित करता है . शिक्षक देश , क्षेत्र , धर्म और अन्य प्रकार के सामाजिक विभेदों से परे रहकर मानवता की अमूल्य सेवा करते हैं . उन्हें लोकतंत्र का प्रहरी कहा जाता है . इनका समाज में आदर सम्मान होना चाहिए . शिक्षक सबके लिए प्रेम और स्नेह की प्रतिमूर्ति होते हैं .
देश के दूर दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिभाशाली छात्रों के चयन और उन्नति के मार्ग पर उनको अग्रसर करने में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है . कबीर ने शिक्षक यानी गुरु को कुम्हार के समान बताया है जो घड़े के समान ही बालकों और अन्य आयु वर्ग के छात्रों के जीवन को आकार देता है .सचमुच शिक्षक राष्ट्र के निर्माता हैं .
डा . एस . राधाकृष्णन एक आदर्श शिक्षक थे और महान शिक्षक के रूप में सारे संसार को मैत्री और प्रेम का सच्चा जीवन दर्शन प्रदान किया . वह युद्ध और हिंसा के घोर विरोधी थी . शिक्षक संसार को शांति और विकास का संदेश देते हैं और मानवता की भलाई के लिए रोज बच्चों – युवाओं को जीवन की समस्त बुराइयों से दूर होकर चरित्र निर्माण की प्रेरणा देते हैं .
– राजीव कुमार झा .
इंदुपुर . पो . बड़हिया .
जिला : लखीसराय . बिहार .

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
