
पितृ दिवस पर क्या लिखूँ
पितृ दिवस पर क्या लिखूँ
स्रोत है जो जीवन का,
उमंग है आंगन का
जिनका जीवन घूमता ,
हमारे इर्द गिर्द क्या लिखूँ
बस एक ही चिंता उन्हे,
बच्चों का भविष्य
संवारने का ,
अपने भी पिता की
आस थामने का,
माँ तो विवशता की धागा मे
एक घर मे बँध जाती है
पिता कई घरो को एक
धागो मे पिरोते जाते हैं।
रिश्तो की कई जिम्मेदारियाॅ
उठाते है पिता ,
एक पिता कितनो का,
जीवन पालते है ,
बच्चों के लिए तो
काला टीका है पिता ,
अपने अधीन फिर
किसी माँ का,
किसी पिता का ,
एक मजबूत कंधे का
निर्माण करते है पिता ।
पितर्दिवस पर हर पिता को समर्पित।
रानी पांडेय
रायगढ़, छत्तीसगढ़।

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