
बनजारा नित चलता जाए
लिए अटल संकल्प हृदय में
बनजारा नित चलता जाए
बिना थके और रुके बिना
अपने कदम बढ़ाता जाए
जन्मों के तप के कारण ही
जन्म मिला इस भारत भू पर
पग पग अपनी मातृभूमि को
सादर शीश नवाता जाये
सीख लिया नन्हे झरने से
पर्वत में राह बनाते कैसे
अनगिन मुश्किल मिले तथापि
जीने की राह बनाते कैसे
सांझ सुबह ने सदा सिखाया
ढलते और निकलते कैसे
काट राह की कंटक बाधा
मन के दीप जलाते कैसे
हर्ष विषाद दो पहलू हैं जब
जीवन की इस कविता के
सहज भाव से,सरल हृदय से
उनको गले लगाता जाए
बनजारा नित चलता जाए..
शशि बाला
हजारीबाग

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।