
पुराने दिन
प्रभु हमारे कर्मों को तुम भुला दो,
हमारी पुराने दिन वो लौटा दो।
वो चाय की चुस्की ,साथ में बैठक,
वो लोगों की मस्ती, दशहरे की रौनक।
वो सावन का मेला , वो झूलों का खेला,
वो बोल बम का नारा, वो देवघर का नजारा।
प्रभु हमारे रक्षा का वादा निभा दो,
हमारे पुराने दिन वह लौटा दो।
वो पापों का धोना, वो संगम का होना,
वो लोगों का हंसना, एक दूसरे में बसना।
वो दोस्तों का मिलना, वो बातों का निकलना।
प्रभु वो दिन फिर से जीला दो,
वो पुराने दिन हमको लौटा दो।
प्रभु मेरी गलतियों को तुम भुला दो,
वो पुराने दिन हम को लौटा दो।
– सरस्वती कुमारी
पटना

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
बहुत सुंदर रचना। प्रभु नित्य है ंंसमय भी नित्य है। वर्तमान में जिएं और खूब खुश रहें।