
प्रभु श्री कृष्ण के श्री चरणों में एक पद प्रस्तुत कर रहा हूं। सभी पर प्रभु कृपा बनी रहे, विशेषकर मेहनत करने वालों पर।
पद
मोसौ चौं रूठ गए घनश्याम।
अँखियन इक रूप बसायौ पर तुम हुए अंतर्ध्यान।।
जानत हूँ कान्हा तुमकूँ, स्तुति गान कबहूं नांहि सुहायौ।
निंदा स्तुति ते परे रहन कौ नित नित ज्ञान सिखायौ।।
कर्म अकर्म विकर्म कौ भेद बताकें करम मार्ग बतायौ।
निष्काम कर्म कौ मंत्र देइकें, सदा कर्मयोग सिखलायौ।।
श्रम बिंदु माहिं देखि तुम्हें, करम करूं दिन भर मैं कान्हा।
जब थक कर होऊं चूर चाहूँ तुम्हरी कृपा कोर अभिरामा।।
हे सखे विनती करूं स्याम जहँ जहँ तुम करम रत पाऔ ।
तहँ तहँ, संकोच छोडि कें सगरे, निज कृपा बरसाऔ।
सत्येंद्र सिंह
पुणे, महाराष्ट्र

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सदा कर्मयोग कि सीख देनेवाले, श्रीकृष्ण पर मधुर भक्ति से ओतप्रोत अनुपम रचना!
सत्येंद्र जी हार्दिक बधाई!
संपादक जी को प्रणाम!
Devotion and dedication is expressed very nicely.
Congratulations for the efforts
बहुत बहुत धन्यवाद सोनी जी।
भाई साहब बहुत सुंदर पदबंध की रचना की है। साधुवाद….. बधाई….