
दिल धड़के, क्यों अब?
करें बहाने दस, न बोलूं मैं अब,
करें बहाने दस, न बोलूं मैं अब,
मुड़ मुड़ कर फिर,
काहे तू देखे,
दिल धड़के, क्यों अब?
दिल धड़के क्यों अब?
करें बहाने दस।
करें बहाने दस, न बोलूं मैं अब,
मुड़ मुड़ कर फिर,
काहे तू देखे,
दिल धड़के, क्यों अब?
दिल धड़के क्यों अब?
क्या मैं बोलूं , कैसे बोलूं?
क्यों न जानूँ, मैं अब?
क्या मैं बोलूं , कैसे बोलूं?
क्यों न जानूँ, मैं अब?
क्यों न जानूँ, मैं अब?
तेरे बिन जीवन न मेरा,
मेरे बिन तू नट,
तेरे बिन जीवन न मेरा,
मेरे बिन तू नट,
मेरे बिन तू नट।
दिल धड़के क्यों अब?
करें बहाने दस।
करें बहाने दस, न बोलूं मैं अब,
मुड़ मुड़ कर फिर,
काहे तू देखे,
दिल धड़के, क्यों अब?
दिल धड़के क्यों अब?
खट्टी-मीठी बातें तेरी,
करती मुझको तंग,
खट्टी-मीठी बातें तेरी,
करती मुझको तंग,
करती मुझको तंग।
बिखरे केश कपोल पे देखूँ,
हो जाऊँ मैं मस्त,
बिखरे केश कपोल पे देखूँ,
हो जाऊँ मैं मस्त,
हो जाऊँ मैं मस्त।
दिल धड़के क्यों अब?
करें बहाने दस।
करें बहाने दस, न बोलूं मैं अब,
मुड़ मुड़ कर फिर,
काहे तू देखे,
दिल धड़के क्यों अब?
दिल धड़के क्यों अब?
छुपे नयन का प्यार मैं देखूँ,
सिले ओंठ का शब्द,
छुपे नयन का प्यार मैं देखूँ,
सिले ओंठ का शब्द,
सिले ओंठ का शब्द।
स्पंदित दिल के तारों ने,
पार न की कोई हद,
स्पंदित दिल के तारों ने,
पार न की कोई हद,
साधना की थी हद।
दिल धड़के क्यों अब?
करें बहाने दस।
करें बहाने दस, न बोलूं मैं अब,
मुड़ मुड़ कर फिर,
काहे तू देखे,
दिल धड़के, क्यों अब?
दिल धड़के क्यों अब?
डॉ. साधना अग्रवाल,
प्राध्यापक, अंग्रेजी, ग्वालियर (म.प्र.)

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
सुंदर रचना
Thanks sir