
आशा दीप
आओ आशा दीप जलाएं ।
अंधकार का नाम मिटायें ।
फूलों से महकें महकाएं ।
दुखियारों के दुःख मिटायें ।
रूह जलाकर जिंदा रहना ,
जीवन की तो रीत नही ।
अंतिम हद आशा रखना ,
मानव मन की जीत यही ।
सूखे पत्तों से झड़ जाते ,
इक दिन दुःखो के साये ।
मीत हृदय को धीरज देना ,
पतझड़ ही मधुमास बुलाये ।
खुद से कभी न रूठो मितवा ,
कोई कितना तुम्हें सताये ।
नदियों जैसे बहते रहना ,
कोई कितनी रोक लगाये ।
मरने से पहले जीना मत छोड़ो,
आओ यारों नाचें गायें ।
आओ आशा दीप जलायें ।
अन्धकार का नाम मिटायें ।
सूरज से चमके चमकाएं ।
खुशियां दोनों हाथ लुटाएं ।
सुषमा दीक्षित शुक्ला

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।