
पद
कान्हा तुम मम हिय बसि गए होते,
राग द्वेष तृष्णा सब बिसरि गए होते।
जग तिहारो, तिहरी माया, बस मैं ही रह्यो परायौ,
छांडि दियो, अनकाहू सो श्याम,नेंकहु तरसु न आयौ।
तुम चाहो तो ज्ञान ऊपजे, तुम चाहौ तो भक्ति आवै,
उदर भरण में लाग्यो तन मन और कहां चित लागै।
जनम जनम की मैं क्या जानूं, काहि कियौ करायौ,
पल छिन तुमसे छिपौ न कान्हा दोष मोहिं पे आयौ।
बस एक उपाय ही जानूं भगवन शरण तिहारी आयौ,
दुत्कारो फटकारो स्वीकारो सब तुम पर ही ठहरायौ।
सत्येंद्र सिंह
पुणे

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
धन्यवाद सोनी जी। कृपया अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दीजिए।
कृष्ण भक्ति पर मधुर रचना। काव्य रचना कि ब्रजभाषा भी भक्ति के रूप को निखारने में समर्थ हो गई है। आपकी कलम ऐसी ही मधुर रचनाएँ लिखती रहे, बहुत बहुत बधाई!
संपादक जी को भी धन्यवाद!
सब लोग सुरक्षित रहें, स्वस्थ रहें।