
थक गए हैं ज़िंदगी से इस क़दर
थक गए हैं ज़िंदगी से इस क़दर
दीखती हमको नहीं कोई डगर
हर तरफ़ दुःख दर्द का अम्बार है
पर अज़ीज़ों को नहीं इसकी खबर
बेरहम इतना जहाँ हो जाएगा
साथ साथी भी नही दे पाएगा
आस की किरणें नदारत हो रहीं
याचना भी हो रही है बेअसर
हो रही कुदरत भी देखो नष्ट है
ख़ुद को जो कहता मसीहा भ्रष्ट है
न्याय की उम्मीद फिर कैसे करें
तंत्र ख़स्ताहाल कुंठित बेख़बर
टूटते परिवार विकृत सोच है
माँ पिता भी आज देखो बोझ है
चासनी सम्बंध की जाती रही
रिश्तों में भी है नहीं अब वो असर
लाभ सर्वोपरि जगत में हो गया
वासना में आदमी है खो गया
कौन साहिल कौन है दुश्मन यहाँ
सब पे रखनी पड़ती है पैनी नज़र
प्रो. आर. एन. सिंह ‘साहिल’
वाराणसी

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।