
माँ
चंदन जैसी मां तेरी ममता ,
तेरी मिसाल कहां दूं मां …।
जनम मिले गर फिर धरती पर,
तेरा ही लाल बनूंगा मां…।
तूने कितनी रातें वारी ,
जाग जाग कर मुझे सुलाया ।
अपने नैनों की ज्योति से,
तूने मुझको जग दिखलाया ।
कैसे चुकाऊँ कर्ज़ दूध का ,
कितना मलाल करूंगा मां …
तेरी मिसाल कहाँ दूं मां …
जनम मिले गर…।
चल कर खुद तपती राहों में,
तूने मुझको गोद उठाया ।
नज़र लगे ना कभी किसी की
काला टीका सदा लगाया ।
मेर जीवन का तू हिसाब थी ,
किससे सवाल करूंगा मां ।
तेरी मिसाल कहाँ दूं मां …।
जनम मिले गर…
जीवन पथ से काँटे चुनकर,
तूने सुंदर फूल सजाया ।
मां ना कभी कुमाता होती ,
औलादों ने भले रुलाया ।
धरती नदिया पर्वत अम्बर ,
तेरी मिसाल कहाँ दूं मां ।
जनम मिले गर…
तेरे पावन अमर प्यार को ,
मैं नादां था समझ न पाया ।
ईश्वर भी ना तुझसे बड़ा है,
अब यह मेरी समझ में आया।
आंचल में फिर मुझे छुपा ले ,
तेरा ख्याल रखूंगा मां…।
तेरी मिसाल कहां दूं मां ।
जनम मिले गर …।
सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।