
सबक-ज़िन्दगी के:
नकारात्मक विचारों पर विचार करना ही बंद कीजिए
अपने जीवन पर दृष्टि डालिये तो आप पाएंगे कि जिन विषयों,जिन बातों पर हम सबसे ज्यादा विचार करते हैं , मनन करते हैं वो वही विषय या विचार हैं जिन्होंने हमें कभी भयंकर मानसिक तनाव या कष्ट दिया होता है। जीवन में मिले भले लोगों और उनके सद्व्यवहार की तुलना में हमें स्वार्थी लोगों का स्वार्थपूर्ण,रूखा व्यवहार ही बार – बार याद आता है। व्यक्ति यह तो हर पल याद रखता है कि उसे क्या नहीं मिला, कौन नहीं मिला…लेकिन यह नहीं देख पाता कि उसे क्या – क्या मिला, और कौन – कौन उसके होने की वजह से खुश है। मानसिक तनाव या अवसाद कुछ हासिल न होने की स्थिति नहीं है , बल्कि सबकुछ होते हुए भी कुछ न देख पाने की स्थिति है। इसीलिए कई बार बहुत कामयाब,लोकप्रिय व्यक्ति भी तनाव के चलते आत्महत्या कर लेता है,और उसके चाहने वाले, जानने वाले यही सोचते रह जाते हैं कि आखिर इसे किस चीज की कमी थी?
नकारात्मक ऊर्जा के दुष्प्रभाव से बचने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि उस पर विचार करना ही बंद कीजिए। जिन बातों,जिन घटनाओं,जिन व्यक्तियों ने आपको कष्ट दिया हो उन्हें याद करना,उन पर दूसरों से बात करना भी छोड़ दीजिए। जितना ज्यादा आप ऐसे विषयों – व्यक्तियों पर चर्चा करेंगे, उतना ही ज्यादा आप पर उस ऊर्जा का असर होगा। हम स्वार्थी – दुष्ट लोगों से तो दूर हो जातें है पर उन पर चर्चा करके नकारात्मक ऊर्जा के तहत उनसे जुड़े रहते हैं। जिसका असर मानसिक तौर पर बहुत गहरा होता है। आपकों पता भी नहीं चलता कि अब ऐसी नकारात्मक ऊर्जा आपके पूरे जीवन की सकारात्मकता पर हावी हो जाती है।
अतः अपनी ऊर्जा को सकारात्मक रखें। जीवन में खुद से ज्यादा परिपक्व और अनुभवी लोगों से जुड़े, जो हर मुश्किल से भिड़ने की मानसिक ताकत रखतें हो। उनके अनुभवों से सीखें, क्योंकि जीवन किसी के लिए भी सहज नहीं होता। नकारात्मक विचारों,परिस्थितियों और लोगों से दूर रहें। एकांत में भी उन पर विचार न करें। केवल सकारात्मक सोचें, या बिल्कुल शांत रहें। जीवन में मिले नकारात्मक लोगों और परिस्थितियों को आत्मविकास का एक अध्याय ही मात्र रहने दें। याद रखिये लोग जैसा सोचते हैं ,वैसा ही आचरण करते हैं,जैसा आचरण करते हैं वैसी ही उनकी जीवनशैली या आदत बन जाती है,आदतों से ही चरित्र बनता है,विकसित होता है….और चरित्र से ही जीवन की दिशा का निर्धारण होता है। यानि अच्छा सोचिये….सब अच्छा ही होगा।
डॉ सुजाता मिश्र,
सागर

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
बहुत बहुत शुक्रिया मेम,ज्यादातर लोग के साथ यह समस्या रहती है मेरे साथ तो हमेशा किसी भी पुरानी बातों को लेकर सोचते रहते है।।
आपके इस लेख से निश्चित रूप से सकारात्मक सोच पर ही विचार और सकारात्मक लोगों से संपर्क में रहने की ज्यादा से कोशिश करेंगे।।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद,🙏🙏