
नज़्म
मयकदा खफा है हमारी
बढ़ती गैर हाजिरी से
अब कैसे जाएं हम जब
डूबे हैं तेरी बेखुदी में ।
स्याही रूठी है कि क्यूं
नहीं सजाते अब लफ्ज़
पर कैसे लिखें वो अल्फाज़
जो सिमट गए तेरे तसव्वुर में ।
फिजाएं भी नाराज़ हैं कि नहीं
करते अब हम रुख गुलशन का
कैसे जाएं अब उस जानिब
जब कस्तूरी बसी तेरे दामन में ।
– अदिति टंडन
आगरा .

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
अदिति जी को बहुत बहुत बधाई।