
जिंदगी मेहमान है
जिंदगी मेहमान है मत इसको उदास कर।
मुस्कुराते चेहरे बना गमों को तराश कर।
जिंदगी मेहमान है मत इसको उदास कर।
पत्थरों के बनाए बहुत से मकान तूने
अगर वक्त है तो किसी के दिल में निवास कर।
जिंदगी मेहमान है मत इसे उदास कर
सख्त है पहरे तेरे चारों ओर पाक है ।
तेरी मंजिल तो आगे बढ़ने की आस कर ।
जिंदगी मेहमान है मत इसको उदास कर
मुस्कुराते चेहरे बना गमों को तराश कर।
आसान नहीं है जीतना जिंदगी की दौड़ को
अगर जीतना चाहता है तो
खच्चर ओ के शहर में कोई घोड़ा तराश कर ।
जिंदगी मेहमान है मत इसको उदास कर।
दामन है तेरा दागदार कब तक छुपायेगा
देर आया दुरुस्त आया आ अब नया लिबास कर ।
जिंदगी मेहमान है मत इसको उदास कर ।
तेरे बस की बात नहीं जग को सुधारना
आज की दुनिया में जीना है तो
बस टाइम पास कर बस टाइम पास कर।
जिंदगी मेहमान है मत इसको उदास कर
मुस्कुराते चेहरे बना गमों को तराश कर।
पूनम पाल
मुंबई

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
बहोत खूब जीवन का सत्य दर्शन