
घर हो सबका चंदन
सात फेरे, गठबंधन, कश्म – वादों का मंजन,
दो दिलों का संगम, घर हो गया मेरा चंदन,
घर हो गया मेरा चंदन….
बिन बोले ही समझूं, दर्द तेरा मैं हर लूं,
दिल के हर कोने में, अपना नाम मैं लिख दूं,
अपना नाम मैं लिख दूं…
प्यार है मेरा संबल, सुनो अब इसका गुंजन,
हुआ जो पहला क्रंदन, घर हो गया मेरा चंदन,
घर हो गया मेरा चंदन…
कोई सौगात न तोलूं, कोई रिश्ता न भूलूं,
तेरे नयनों में बसकर, सारे जहां को देखूं,
सारे जहां को देखूं…
आ जाओ मेरे अंजन, हो त्रासों का भंजन,
साधना करती वंदन, घर हो सबका चंदन,
घर हो सबका चंदन…
– डॉ. साधना अग्रवाल
ग्वालियर (म.प्र.)

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।