
ग़ज़ल
कुछ इश्क़ के दीवाने हमको भी’ छल गए हैं।
जिनपर किया भरोसा वो ही बदल गए हैं।
हालात हैं बुरे जो वो छोड़कर चले हैं
अरमान दिल के सारे मेरे मसल गए हैं।
मेरी खता हुई जो बातों में तेरी आयी
जो बेबसी में दिल के अरमां मचल गए हैं।
वो रात ग़म कि काली थे अश्क़ आँख मेरे
तू ना पिघल सक़ा पर पत्थर पिघल गए हैं।
उल्फ़त के नाम पर जो धोखा दिया है’ उसने
है शुक्र उस ख़ुदा का गिरकर सँभल गए हैं।
हम शौक़ से मुहब्बत की राह पर चले थे
चुनकर कदम बढ़ाए फिर भी फिसल गए हैं।
ये बद्दुआ हमारी तू खुश न रह सकेगा
अब तो चिराग दिल में नफ़रत के’ जल गए हैं।
मैंने वफ़ा निभाई पर बेवफ़ा तुम्हीं थे
यादों के तेरे मंजर अब दिल से निकल गए हैं।
अभिनव मिश्र अदम्य
शाहजहाँपुर,उ.प्र.

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।