
बदलता वक्त
जानें क्यों नहीं भूलती वो गलियाँ ,
भोले बचपन की चुहलबाजियाँ,
टहनी से जुड़े हरे पत्तों की कहानी,
अपनापन लिये वो शैतानियाँ……
पढ़ाई के बहाने खेल में वक्त गुज़ारना ,
पड़ोसन चाची से गृह कार्य पूरा करवाना,
मित्रों संग सड़क पर धमा -चौकड़ी मचाना ,
शिकायत कर के भाई से माफ़ी मंगवाना…
बेटी ने ससुराल के लिये था घर छोड़ा ,
बेटे ने तरक्की के लिये मुँह था मोड़ा ,
काल ने लील लिया बुजुर्गों का साया ,
दिल ने गलियों के वादों को पर न तोड़ा ……
अब भी यदाकदा वहाँ फेरे लगा आते हैं
पर जाने-पहचाने लोग कहाँ नज़र आते हैं ,
बदल गये बाज़ार नुक्कड़ के रंग ढंग,
घरों की जगह अब मॉल दिखाई देते हैं ……
वक्त के साथ-साथ सब जाता है बदल ,
सरल नहीं जीवन की समस्याओं का हल ,
रौनकें फिर वही देखना चाहता है मन ,पर
चाहने से कभी वापस नहीं आता बीता कल …..
कुन्ना चौधरी
जयपुर

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।