
लेखको का फर्ज
बहुत सोच विचार कर
लेखक कवि लिखते है।
अपने दिलके अल्फाजो को
अपनी कलम से लिखते है।
जो पाठकों के चेहरो पर
मुश्कान ले आते है।।
कभी अपनी कमियों को तो
कभी समाज की कमियों को।
वो अपनी लेखनी से
सदा उजागर करते हैं।
और उन क्रूतियों को
समाज से दूर करवाते है।
तभी तो कवि लेखको को
समाज का दर्पण कहते है।
जो एक सभ्य समाज का
देश में निर्माण करवाता है।।
बदल जाती है काया
समाज गाँव और शहरों की।
इसका श्रेय भी कवि और
लेखको को दिया जाता हैं।
जो सोये लोगों को जगाकर
नई क्रांति को जन्म देते है।
और देश को उन्नति के
पथ पर ले जाते है।।
देश का लेखक कवि
अपना फर्ज निभाता है।
और देश की प्रगति में
अपना योगदान देता है।।
संजय जैन
मुंबई

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
संजय जी आपने गुरु महिमा बहुत अच्छी लिखी ऐसे हो लिखते रहे। बहुत बहुत साधुवाद