
काव्य मंजरी साहित्यिक मंच का पंचम स्थापना दिवस सम्पन्न
29 जनवरी 2021 को मंच ने अपना पांचवा स्थापना दिवस मनाया। 2016 में मात्र 5 रचनाकारों को लेकर ये समूह व्हाट्सअप पर डॉ नीरजा मेहता ‘कमलिनी’ द्वारा प्रारम्भ किया गया था और धीरे-धीरे मंच ने पांव पसारे और देश के विभिन्न राज्यों से रचनाकार जुड़ते गए। यूँ तो अब तक ये समूह 150-200 रचनाकारों का हो जाता पर संस्थापिका ने संख्या को महत्व न देकर गुणवत्ता को महत्व दिया जिसका परिणाम ये है कि मंच पर 70 से अधिक सक्रिय और बेहतरीन रचनाकार जुड़े हुए हैं। निःसन्देह मंच को आगे ले जाने में सभी रचनाकारों का योगदान प्रणम्य है।
स्थापना दिवस का आयोजन दो सप्ताह पूर्व ही प्रारम्भ हो गया था जिसमें मनपसन्द विषयों को लेकर कई प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। विजेताओं को शब्द शक्ति सम्मान, शब्द संजीवनी सम्मान और शब्द श्रृंगार सम्मान से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर तीन रचनाकारों को उपनाम से सुशोभित किया गया जिनको उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा रजिस्टर “काव्य मंजरी साहित्यिक मंच” (रजिस्टर्ड संस्था) की ओर से प्रमाण-पत्र भी दिया गया।
इस अवसर पर हिंदी साहित्य की विधा पर कुछ चुनिंदा रचनाकारों को भी सम्मानित किया गया। गज़लकारों को “कैफ़ी आज़मी सम्मान”, छंदकारों को “गोपालदास नीरज सम्मान”, मुक्तछंद रचनाकारों को “सूर्यकांत त्रिपाठी निराला सम्मान”, आलोचकों को “डॉ नामवर सिंह सम्मान” और कहानीकारों को “प्रेमचंद सम्मान” से नवाज़ा गया।
मंच के सक्रिय रचनाकारों को “साहित्य मंजरी सम्मान” से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर मंच ने गूगलमीट पर काव्य गोष्ठी आयोजित की जिसमें लगभग 50 काव्य प्रेमियों ने अपनी रचनाओं से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। इस गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार मंच की संरक्षिका नोएडा से डॉ आभा नागर जी ने की, विशिष्ट अतिथि थे चंडीगढ़ से वरिष्ठ साहित्यकार एवं संपादक श्री एम एल अरोड़ा जी। दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना कवयित्री सुष्मिता महथा ‘सुमी’ द्वारा की गई। गोष्ठी का संचालन मंच की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुश्री नेहा शर्मा ‘नेह’, मंच की राष्ट्रीय महासचिव सुश्री पदमा शर्मा ‘आँचल’ और मंच के प्रमुख राष्ट्रीय प्रभारी डॉ अनीश गर्ग ने की।
मंच की राष्ट्रीय अध्यक्ष व संस्थापिका डॉ नीरजा मेहता ‘कमलिनी’ ने सभी को बधाई दी और सबके अतुलनीय योगदान के लिए आभार व्यक्त किया।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।