
राष्ट्रीय बालिका दिवस पर विशेष-
मासूम बेटियां
घर को रौशन करती है बेटियां,
फिर क्यों बेटियों के लिए
समाज की है उपेक्षित नीतियां।।
संसार के वंश को चलाती है बेटियां,
माँ-बाप के गौरव को बढ़ाती है बेटियां,
दो घरों को उज्जवल करती है बेटियां,
नारी शक्ति बन समाज को जगाती है बेटियां।।
लड़के की तरह नाम बढ़ाती है बेटियां,
फिर क्यों जन्म से पहले ही मार दी जाती है बेटियां।।
घर की रौनक होती है बेटियां
माँ-बाप की शान होती है बेटियां,
भगवान का वरदान होती है बेटियां,
यूँ समझ लेना की बेमिसाल होती है बेटियां।।
जगत की जननी कहलाती हैं बेटियां,
खाली मकान को किलकारी से भर देती है बेटियां,
जब भी आई कोई बाधा या विपदा
माँ-बाप का सहारा बन खड़ी हो जाती है बेटियां।।
सूरज की तरह चमकती है बेटियां,
फूलों की तरह महकती है बेटियां,
पर जाने क्यों यह समाज,
जन्म से पहले मार देती है बेटियां।।
समाज में अबला समझी जाती हैं बेटियां,
पर काम ऐसा कर आगे निकल जाती है बेटियां,
धरी रह जाती है रूढ़ियाँ-रीतियां-नीतियां,
जग में नाम रौशन कर देती है बेटियां।।
मुन्नी पाण्डेय
शिक्षिका
स्काईलैंड पब्लिक स्कूल प्रतापपुर
जिला-सूरजपुर (छ. ग.)

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
बहुत सुंदर रचना मुन्नी पांडेय जी,बहुत बहुत बधाई आपको
बहुत सुंदर। अब लड़की लड़के में भेद नहीं है। बधाई। बिटिया दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
Bahut pyare tarh se puri baat chhote se poem me padhne me mili….bahut mst