काव्य भाषा : तुम भारत के युवा वीर हो -सतीष भारतीय सागर

344

Email

तुम भारत के युवा वीर हो

तुम भारत के युवा वीर हो, कर्मवीर हो,
दान वीर हो, तुम भारत के धर्मवीर हो,

रणभूमि की मिट्टी पर तुम, अपना लहु बहाते हो,
भारत के रहने वाले हो तुम, भारत की गाथा गाते हो,

महान देश के दानी हो तुम , भारत की कुरबानी हो तुम
एकता की तुम मशाल हो, इस देश की अहम निशानी हो तुम,

तुम इस धरती के शूरवीर हो, भारत के बलिदानी हो तुम,
हिन्दुस्तान की आजादी की, एक नई कहानी हो तुम,

वीरों तुमने इस मातृभूमि की ,रक्षा का वचन निभाया है,
युध्दभूमि में हर पल, तुमने अपना लहु बहाया है,

राष्ट्रप्रेम और राष्ट्रवाद का, एक परचम लहराया है,
इस मातृभूमि को तुमने ही, अपना शीर्ष चडा़या है,

इतिहास की गाथा हो तुम , भारत की आज़ादी हो तुम,
वीरता की तुम मशाल हो, भारत की खुशहाली हो तुम,

तुम इस देश के अफसाने हो, तुम मातृभूमि के दीवाने हो,
तुम इस भारत के बेटे हो, तुम युवा देश के परवाने हो।

सतीष भारतीय
सागर

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here