

नवल वर्ष के आँगन पर
दो हजार इक्कीस तुम आओ,
जग में नूतन खुशियां लाकर ।
परम पिता की सदा दुआ हो,
उनकी सुंदर बगिया पर ।
दो खुशियों की शुभ सौगातें ,
सुख के सुंदर दीप जलाकर ।
दो हजार इक्कीस तुम आओ ,
जग में नूतन खुशियां लाकर ।
खिलते रहें गुलाब सदा ही ,
साँसों की अगणित शाखों पर ।
सुंदर अभिलाषाएं पूरी हों ,
नित नवल वर्ष की राहों पर ।
आँधी बनकर ख़ुशबू बिखरे ,
भारत माता के दामन पर ।
सपनों की नइया तट पहुँचे ,
नित नवल वर्ष के आँगन पर ।
दो हजार इक्कीस तुम आओ ,
जग में नूतन खुशियां लाकर ।
परमपिता की सदा दुआ हो ,
उनकी सुंदर बगिया पर ।
सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
