

इससे पहले कि यह वर्ष विदा ले
इससे पहले कि यह वर्ष विदा ले
भूलें पूर्णता की उम्मीदें
क्योंकि मशीन नहीं मानव हैं हम
हो सके तो भूलें
कुछ नादानियाँ
कुछ ग़लतबयानी
कुछ बेवकूफियाँ
इससे पहले कि घड़ी की सूई
निकले इस पार से उस पार
निकल जाने दें वह मवाद भी
जो जमा है अपमान के फोड़े में
किसी अपने ने कह दिया
अनजाने ही कुछ
और आप जतन से उसे सेते रहे
हो सके तो भूलें
टूटे सपनों को
और मना लें
रूठे अपनों को
क्योंकि जहाँ से हटी
आत्मीयता की रजाई
वहीं से घुस आता है
बेगानेपन का सबब
और सबसे ज़रूरी बात
इससे पहले कि लिखें
नव वर्ष की इबारत
कर लें अपनी स्लेटें साफ।
*कमलेश कमल
जबलपुर

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
