

सीएम साहब की दो बातें समझ नहीं आई
– इंजी. बीबीआर गाँधी
अभी हाल ही में होशंगाबाद के बाबई में एक आम सभा को मुख्य मंत्री शिवराज सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि वो अब पूरे फॉर्म में हैं यानि अब वो पहले से ज्यादा ताकतवर हो गए हैं इसलिए अब प्रदेश में माफ़िया राज किसी भी कीमत में चलने नहीं दिया जायेगा, उन्होंने चेतावनी दी कि मध्य प्रदेश छोड़कर चले जाना नहीं तो १० फुट नीचे गाड़ दिया जायेगा।
इस भाषण को सुनकर बहुत तालियाँ भी बजीं और लोगों को हंसी भी आई, क्योंकि पिछले डेढ़ दशक से मामा का ही राज चलता चला आ रहा है, एक साल कांग्रेस का राज रहा जिसे राज कहना भी चुटकी लेने जैसा है.
पहली बात हुई बाबई में दिया गया उक्त संबोधन और दूसरी बात ये कि स्वच्छ भारत अभियान के कार्यक्रम में बीते महीने मुख्य मंत्री शिवराज सिंह ने कहा था कि प्रदेश में तरह तरह के माफियाओं ने पैर जमा लिए हैं उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी. उन्होंने खाद्य सामग्रियों में मिलावट करने वालों को भी माफिया की संज्ञा दी थी. इन दोनों ही भाषणों से उनकी स्वीकारोक्ति तो हो ही गई कि प्रदेश में माफिया राज चल रहा है. लेकिन ये दोनों बातें इसलिए समझ में नहीं आई कि माफियाओं के सफाए में दो रंग वाले और तीन रंग वाले पताकाओं को लेकर चलने वालों पर सामान रूप से कार्यवाही होगी या नहीं ?
एक ख़ास बात साफ़ तौर से समझ में जरुर आई जिससे मामा शिवराज थोड़े मानवीय संवेदना से ओतप्रोत गरीबों की चिंता करते नज़र आये. उन्होंने स्थानीय प्रशासकों को स्पष्ट रूप से कहा कि रेहड़ी ठेले लगाने वालों की चिंता की जानी चाहिए, उनके रोजगार करने के लिए पहले पहले व्यवस्था की जाये उसके बाद ही उन्हें हटाया जाये. इस एक बात से उन्होंने ये भी साबित कर दिया कि कोरोना संक्रमण काल में कई लोगों ने हाथ ठेले पर काम करना शुरू कर दिया है और इनमे से कई लोग ऐसे हैं जो अपने कसबे में लौटकर इस काम को कर रहे हैं.
बहरहाल माफियाओं को लेकर कही गई दोनों बात तब तक ठीक से समझ में नहीं आ सकती जब तक उनके कहे अनुसार अपने रसूख और गुंडागर्दी के बल पर सीधे सादे लोगों की जमीनों पर कब्ज़ा करने वाले कानून के शिकंजे में नहीं आते या अवैध रूप से कब्ज़ा किये लोग कब्ज़ा नहीं छोड़ते.
देखना यह भी है कि नगर निकायों के चुनाव से पहले मामा की जादू की छड़ी कितनी बार घूमती है और उनके कहे अनुसार कल्याणकारी साबित होती है.

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
