

सेवा अवधि की गणना नियुक्ति दिनांक से मान्य हो-रघुवंशी
सिवनी बानापुरा।
अध्यापक संवर्ग के कर्मचारियों को राज्य शिक्षा सेवा में क्रमोन्नति पदोन्नति एवं वरिष्ठता हेतु सेवा अवधि की गणना नियुक्ति दिनांक से मान्य की जाना चाहिए।
मध्यप्रदेश शासकीय अध्यापक संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष राम मोहन रघुवंशी ने बताया कि जिस प्रकार शिक्षा कर्मी और संविदा शिक्षक से 01 अप्रैल 2007 में अध्यापक संवर्ग में सेवाओं कि निरंतरता में संविलियन/नियुक्ति किए गए थे तो क्रमोन्नति/पदोन्नति/वरिष्ठता हेतु सेवा अवधि की गणना नियुक्ति दिनांक मान्य की गई थी। 11 सितम्बर 2008 के राजपत्र की अनुसूची 4 की टिप्पणी 01 , लेकिन अब राज्य शिक्षा सेवा में नवीन नियुक्ति कर 20 वर्ष की पद की वरिष्ठता समाप्त कर दी गई है। 30 जुलाई 2018 राज्य शिक्षा सेवा के राजपत्र के नियम 14 के 7 में वरिष्ठता शब्द गायब है,इस नियम के परिपेक्ष्य में सेवा शर्तों के जारी आदेश दिनांक 27 जुलाई 2019 के नियम 2.15″ में पदोन्नति/क्रमोन्नति/समयमान के प्रयोजन के लिए पूर्व में अध्यापक संवर्ग में की गई सेवा अवधि का लाभ अधिकतम 10 वर्ष पैरा 3 के अनुसार प्राप्त होगा।”
अतःपैरा 3 को समझ भी समझ लिया जाए
पैरा 3 में उल्लेख है,यद्धपि ये नवीन नियुक्तियां हैं पर सहानुभूिपूर्वक विचार कर अध्यापक संवर्ग में की गई सेवा को पदोन्नति क्रमोन्नति समयमान की पात्रता में गणना में लेने का निर्णय लिया गया है,तदनुसार
पैरा 3.1में भर्ती नियमों की अनुसूची 4 में चूंकि पदोन्नति हेतु 5 वर्ष की सेवा अवधि का प्रावधान है अर्थात् पदोन्नति में कोई दिक्कत नहीं होगी।
लेकिन हमारी पदोन्नति के समस्त प्राचार्य हाईस्कूल,व्याख्याता,उच्च श्रेणी शिक्षक तथा प्रधानाध्यापकों पदों पर वेतनमान अनुसार पदनाम से नियुक्ति की जा रही है। पदोन्नति का मार्ग तो प्रशस्त है पर पदोन्नति के पद ही नहीं रहेंगे।
पैरा.3.2,,में केवल संविदा शिक्षकों को प्रथम और द्वितीय क्रमोन्नति का लाभ समय पर देने के उदाहरण तो दिए गए हैं लेकिन शिक्षा कर्मियों और पदोन्नत हुए लोगों को क्रमोन्नति के उदाहरण न देकर संशय एवं भेदभाव किया गया है।
पैरा 3.3 में तीन उच्चतर वेतनमान की पात्रता हेतु गणना में लिया जाएगा।
पैरा 3.4 में क्रमोन्नति/पदोन्नति/समयमान का लाभ भर्ती नियम तथा संगत नियम निर्देशों में उल्लेखित शर्तों तथा मापदंडों की पूर्ति आवश्यक होगी।लिखकर विवाद पैदा किया जाएगा और विवाद होने पर
पैरा 3.5 के अनुसार किसी प्रकार के विवाद की स्थिति में शासन का निर्णय अंतिम होगा।
सार-अर्थात् अभी भी क्लियर नहीं है कि क्रमोन्नति हेतु सेवा अवधि की गणना कब से की जाएगी।यदि पैरा 3.2 के उदाहरण सही हैं और मंशा साफ है तो फिर नियम 2.15 में सेवा अवधि का अधिकतम लाभ 10 वर्ष तक ही दिये जाने का उल्लेख क्यों है?
(1)11 सितम्बर 2008के राजपत्र की अनुसूची 4 की टिप्पणी एक
(2)30 जुलाई 2018राज्य शिक्षा सेवा के राजपत्र के नियम 14 के 7
(3) स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा सेवा शर्तें 27 जुलाई 2019 के नियम 2.15 का।
(4) लोक शिक्षण संचालनालय के निर्देश दिनांक 9-07-19 द्वारा 1 जुलाई 2018 के पूर्व और पश्चात नियुक्ति अनुसार
(5) लोक शिक्षण संचालनालय के निर्देश दिनांक 24-7-20 द्वारा वरिष्ठ वेतनमान के निर्देश जारी किए जाना शेष है।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
