काव्य भाषा : दर्दे दिल- नीलम द्विवेदी रायपुर ,छत्तीसगढ़।

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दर्दे दिल

गुजरे दिन सब याद हैं, जो गुजरे थे संग,
रूह हमारी में रमे, बेशक छोड़ा अंग।

गुजरे दिन को याद कर, आज गई मैं भूल,
जीवन में तूफान है, हियरा मेरे शूल।

फूल सभी काँटे बने, उर में चुभते शूल
सोना चाँदी सब हुये, जैसे पथ की धूल।

मीलों की दूरी हुई, बिखरे दिल के फूल,
जीवन अब कैसे कटे, साजन बैठे भूल।

दूर बहुत साजन चले, करके अब बे-नूर,
मीन बनी बे नीर की, बैठा जाकर दूर।

नीलम द्विवेदी
रायपुर ,छत्तीसगढ़।

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