

मिलावट उन्मूलन का विरोध उचित या अनुचित ?
होशंगाबाद जिले के खाद्य सामग्री विक्रय करने वाले व्यापारियों ने प्रदेश सरकार के मिलावट उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जाँच करने का विरोध करते हुए आज अपने अपने व्यापार को बंद रखा।
बाजार में होटल, किराना और कंफेक्शनरी के व्यापारियों के प्रतिष्ठान बंद रहने से काफी सूनापन नज़र आ रहा था।
होशंगाबाद के एक व्यापारी ने कहा कि जिन अधिकारियों द्वारा बाजार से सैंपल लिए जा रहे हैं उनपर भ्रष्टाचार के आरोप पहले से लगे हुए हैं, ऐसे में उनकी कार्यवाही को ठीक कैसे माना जा सकता है।
उक्त कथन से ऐसा लगता है कि ईमानदार अधिकारी सैंपल संग्रह करेंगे या जाँच आदि करेंगे तब व्यापारियों को कोई आपत्ति नहीं होगी।
जब हर चीज़ में मिलावट करने वाले अधिकांश व्यापारी केवल निज़ी लाभ को आगे रखकर व्यापार करते हैं और ऐसे में लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा हो तब क्या करेंगे।
जहाँ तक मिलावट का सवाल है तो कौनसी ऐसी चीज़ है जिसमें नीचे से ऊपर तक हर स्तर का व्यापार मिलावट करते हुए अधिक मुनाफा कमाने की चाह में नहीं बेच जा रहा है।
कम से कम खानपान की चीज़ों पर निर्माता और व्यापारी मेहरबानी करके मिलावट का गोरखधंधा छोड़ दें।
अब तो लगने लगा है कि हमारे प्यारे हिंदुस्तान के लोग अपने ही साथ उठने बैठने वाले कुछ लोगों से मिलावटी चीज़ें जिनमें सोना, चांदी, किराना, दूध, पनीर, मिठाई आदि खरीदकर अपनी ही बर्बादी कर रहे हैं।
भारत भूषण आर गांधी
पत्रकार,इटारसी

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।

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