काव्य भाषा : दिवाली – डॉ अखिलेश्वर तिवारी पटना

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दिवाली होगी

जब मन के सभी मैल धूल जायेंगे
सब मिलकर के एक हो जायेंगे,
जब खुशियाँ साथ मनायेंगे
टिका टोपी एक दूसरे को अपनायेंगे,
भेद भाव को छोड़कर ऊपर उठ जायेंगे
उस रोज दिवाली होगी।

जब सियासतदान मुल्क को अपनायेंगे
जाति पाति से ऊपर उठ जायेंगे,
मजहब की दीवार न उठाएँगे
योग्य व्यक्तियों को चुनाव में टिकट देंगे,
गुंडों की वाट लगाएंगे
उस रोज दिवाली होगी।

जब पत्रकार खबर सुनायेंगे
खबरों में दिमाग न लगायेंगे,
पक्ष विपक्ष की पार्टी नहीं बन पायेंगे।
खबरों में अपना एजेंडा नहीं चलायेंगे,
पैसों के लिए नहीं बिक जायेंगे
उस रोज दिवाली होगी।

जब अदीब जहालतों से ऊपर उठ जायेगा
सारे कफ़स को जीवन मे तोड़ पायेगा,
ज्ञान की रौशनी में नहायेगा
दूध और पानी को अलग कर पायेगा,
आवाम में भाई चारे को बढायेगा
उस रोज दिवाली होगी।

जब जल्दी न्याय मिल पायेगा
अस्पताल में डॉक्टर मिल जाएगा,
प्रशासन में विशेषज्ञ निर्णय लेगा
पुलिश से दुराचारी डरेगा,
जब एक शरीफ सम्मान की जिंदगी जियेगा
उस रोज दिवाली होगी।

डॉ0 अखिलेश्वर तिवारी
पटना

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