

दोहे
हुआ जन्म जब पूत का,
माँ के गम हुए दूर |
पाया है पुत्र रत्न धन,
कुटुम्ब का वह शूर ||
माँ गम में डूबी हुई,
सुन बेटों की बात |
बँटवारा निश्चत हुआ,
कौन निभाएँ साथ ||
इंतज़ार माँ कर रही,
बैठी अपने द्वार |
बेटा आए कौन सा,
ले पहले का बार ||
चिन्ता में डूबी रही,
बूढ़ी माँ दिन रात |
सो न सकी यह सोचकर,
कौन करे अब बात ||
ताने भी सुनने मिले,
नहिं दे सकी जबाव |
बहुएँ भी ऐसी मिली,
पुत्रों पर है दबाव ||
सम्पत्ति के संग संग,
माँ भी दी है बाँट |
प्यार लुटाया जिसने,
उसको नहिं है खाट ||
© विनोद शर्मा,
आर-54, वकील कॉलोनी,
प्रताप विहार, सेक्टर-12
गाजियाबाद

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
