काव्य भाषा : दीप -राजीव रंजन शुक्ल पटना ,बिहार

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दीप

अमावस का तम
दीपों का दम
सिखाता , दिखाता और समझता
आशा का एक भी दीया
यदि है जलता
तो निराशा का तम
कर सकता खत्म
फैला सकता उम्मीद का उजाला।

राजीव रंजन शुक्ल
पटना ,बिहार

3 COMMENTS

  1. बहुत अच्छी कविता।मन में वोहवाद का एक दिया ही सारे तम को हर सकता है।
    शुभकामनाएं

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