काव्य भाषा : ‘शरद’ ने पूछ लिया आज…- डॉ.(सुश्री) शरद सिंह

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ग़ज़ल

‘शरद’ ने पूछ लिया आज…
– डॉ.(सुश्री) शरद सिंह

कभी मिला, न गुमा, उसको ढूंढते क्यों हो ।
खुद अपने आप से, बेवज़ह जूझते क्यों हो ।

ले जा के छोड़ दे यादों के एक जंगल में
उस एक राह पे हरदम ही घूमते क्यों हो ।

ना आएगा वो मनाने किसी भी हालत में
ये जान कर भी हमेशा यूं रूठते क्यों हो ।

वो पंछियों के भरोसे, क्या भाग बांचेगा
जिसे पता ही नहीं उससे पूछते क्यों हो ।

‘शरद’ ने पूछ लिया आज अपने ख़्वाबों से
ज़रा सी बात पे हर बार टूटते क्यों हो ।
———

सागर, मध्यप्रदेश

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