
ग़ज़ल
‘शरद’ ने पूछ लिया आज…
– डॉ.(सुश्री) शरद सिंह
कभी मिला, न गुमा, उसको ढूंढते क्यों हो ।
खुद अपने आप से, बेवज़ह जूझते क्यों हो ।
ले जा के छोड़ दे यादों के एक जंगल में
उस एक राह पे हरदम ही घूमते क्यों हो ।
ना आएगा वो मनाने किसी भी हालत में
ये जान कर भी हमेशा यूं रूठते क्यों हो ।
वो पंछियों के भरोसे, क्या भाग बांचेगा
जिसे पता ही नहीं उससे पूछते क्यों हो ।
‘शरद’ ने पूछ लिया आज अपने ख़्वाबों से
ज़रा सी बात पे हर बार टूटते क्यों हो ।
———
सागर, मध्यप्रदेश

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
वाह… बहुत ख़ूब
बेहतरीन ग़ज़ल
हार्दिक धन्यवाद ???
मेरी ग़ज़ल को युवा प्रवर्तक में स्थान देने हेतु हार्दिक धन्यवाद एवं बहुत-बहुत आभार ???
युवाप्रवर्तक टीम को हार्दिक शुभकामनाएं
वाह
बहुत खूब ,बधाई शरदजी
हार्दिक धन्यवाद वर्षा दी ?
हार्दिक धन्यवाद चंचला जी ?