

प्रेम
माँ-बाप का प्रेम
जग में सबसे अनमोल
बच्चों की छोटी छोटी खुशियों में
ढूँढें जो अपनी ख़ुशी
उनकी खुशियों के लिए छोड़ दें
जो अपनी सारी खुशियां।
कभी बन जाते गुरु हमारे
कभी बन जाएँ दोस्त
अच्छे बुरे का पाठ सिखाते
दुनिया की बुरी नज़र से हमें बचाते।
प्रेम का मतलब हमें सिखलाते
अपनेपन का एहसास करवाते
दूर रहने पर भी
जो हर दम रहते
पास हमारे।
बिना कुछ बोले
मन की बात समझ लेते
रिश्तों की मजबूती का
राज हमें बतलाते।
दर्द में देख हमें
आँसू उनकी आंखों से बहें
बावजूद मुश्किल से लड़ना सिखलाते
ख़ुद को भूल
ध्यान हमारा रखते
जल्दी हो जाऊं ठीक
प्रार्थना ईश्वर से करते
देख यह त्याग
प्रेम से साक्षात हम होते…
समझ आता बिना प्रेम
जीवन हमारा निरर्थक
जैसे बिन पानी मछली का जीवन।
स्वार्थ से ऊपर है प्रेम
जीवन का आधार है प्रेम
नित् नित् बढ़ता ही जाए
ऐसा स्पर्श है प्रेम…
सबसे करो प्रेम
ऐसा पाठ वह हमें
सिखलाते।
…जीवन का अस्तित्व ही
जुड़ा प्रेम से
प्रेम से ही दिल
जीता जा सकता सबका
जब आपके पास शेष
कुछ नहीं बचता
ऐसे कठिन समय में
जो आस जगा दे
ऐसा, माँ-बाप का अनमोल प्रेम!
हम पढ़ -लिख कर
कुछ बन पाएं
…जीवन में
खानी न पड़े ठोकर
बस इतनी सी ख्वाहिश उनकी
ऐसा, माँ-बाप का प्रेम!
– सपना
दिल्ली-110009

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।

Very nice ????
Bahut sundr ???
बहुत सुंदर
बहुत उम्दा और सुंदर रचना डियर????????????
Very very nice
Bahut sundar
Wonderful..??✌
युवा प्रवर्तक के समस्त सदस्यों का हार्दिक आभार।