काव्य भाषा – तेरे द्वार …ऋतुराज वर्षा ,रांची

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तेरे द्वार …….।।।

हम आये तेरे द्वार माता करके रुप श्रृंगार माता।
कर दे सबकी मनोरथ पूरी। मिटा दे रिश्तों की दूरी।

भर दे सबके दिलों में करार। माता, हम आये तेरे द्वार। सबको तुझपे है एतवार। मिटा दे नफरत की दीवार।

हम आये तेरे द्वार माता। करके रुप श्रृंगार माता।
हम है अबोध, हम हैं अनजान।
तुझसे ही है यह जग संसार।
भर दे सबके दिलों में प्यार।

हम आये तेरे द्वार माता। करके रुप श्रृंगार माता।
भूल हुई जो हमसे कोई हम रहते बेकरार माता।
हम हैं क्षमा के पूरे हकदार माता।.
हम आये तेरे द्वार माता। करके रुप श्रृंगार माता।

ऋतुराज वर्षा ,रांची

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