काव्य भाषा : हूँ मैं अनाथ तो क्या हुआ – डॉ ब्रजभूषण मिश्र भोपाल

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हूँ मैं अनाथ तो क्या हुआ

मेरा ,औरों सा भाग्य कहाँ
मुझको बचपन ही मिला नहीं
बहना पर प्यार उमड़ता है
ये सुख मुझको मिला यहीं

इसके रोने पर रोता हूँ
इसके हँसने में मेरी हँसी
भूख,प्यास,लालन पालन
करने में मिलती मुझे खुशी

हे भगवन इतना सक्षम कर
कर्तव्य अपना निभा सकूँ
हूँ मैं अनाथ तो क्या हुआ
ब्रज,बहना का साथ तो पा सकूँ।

डॉ ब्रजभूषण मिश्र
भोपाल

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