काव्य भाषा : नवीन मुक्तक – -अनिल साहू प्रतापपुर

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नवीन मुक्तक

दिलों में प्रेम भरकर ही,
मनुज,इंसान बनता है।

बैर दिल में रखे भाई,
तो पाकिस्तान बनता है।

वतनवालो, धर्म और जाति,में
अब फर्क न समझो।

कोई दिलीप बन जाता,
कोई रहमान बनता है।

अनिल साहू प्रतापपुर

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