

मुखौटे
सुनो ऐ मुखौटे बेचने वालों
अब कोई और धंधा शुरू कर दो
यहाँ तो पहले से ही
हर चेहरे पर मुखौटे हैं
असलियत की पहचान ही नही होती
जो जैसा होता है, वैसा दिखता नही
और जैसा दिखता है वैसा होता नही
इसलिए सुनो,अब बंद कर दो मुखौटे बेचना
खूब सूरत चेहरे के पीछे
कलुषित मलिनता है
मुस्कुराहटों के पीछे
बदनीयती के धब्बे हैं
गणित के कठिन सवाल की तरह
बहुत मुश्किल हो गया है चेहरों को पढ़ना
और समझना
इसलिए मत बेचो और मुखौटे
यहाँ तो हर चेहरे पर मुखौटे है ।
बिन्दु त्रिपाठी
भोपाल

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
