‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में मातृभाषा औऱ महात्मा गांधी’ विषय पर संवाद कार्यक्रम का आयोजन हुआ

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‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में मातृभाषा औऱ महात्मा गांधी’ विषय पर संवाद कार्यक्रम का आयोजन हुआ

इटारसी।
02 अक्टूबर गांधी जयंती पर ”राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में मातृभाषा औऱ महात्मा गांधी” विषय पर व्‍याख्‍यान / परिचर्चा / संवाद कार्यक्रम का आयोजन निदेशक, स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन योजना, उच्च शिक्षा विभाग, भोपाल के निर्देशानुसार पूज्य महात्मा गांधी जी की जयंती के उपलक्ष्य  में महाविद्यालय  में गूगल मीट के माध्यम से गांधी जयंती पर ”राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 में मातृभाषा औऱ महात्मा गांधी” विषय पर व्‍याख्‍यान/परिचर्चा/संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
प्राचार्य डॉ. आर. एस. मेहरा द्वारा बापू की प्रतिमा पर मल्‍यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। तत्पशचात गूगल मीट के माध्यम से सभी प्राध्यापकों एवं छात्राओं ने इसमे भाग  लेकर अपने विचार व्यक्त किये।
प्राचार्य डॉ. आर. एस. मेहरा ने बताया कि गांधी जी के आदर्शो का प्रभाव अधुनिक हिन्‍दी काव्‍य पर संपूर्णता से व्‍याप्‍त है, वही गध् साहित्‍य भी उनके प्रभाव से अछूता नहीं रहा है मुशी प्रेमचन्‍द्र, असहयोग आंदोलन से उनके साथ जुडे थे, सेवासदन से लेकर गोदान पत्रिका में, संयम, सत्‍य, अंहिसा, त्‍याग, सेवा ग्राम्‍य संस्‍कार का सम्‍यक उदाहरण हिन्‍दी सहित्‍य में गांधी जी की देन है। गांधी जी का जीवन ही संदेश है।
डॉ. श्रीराम निवारिया ने बताया कि गांधी जी ने कहा था कि सिद्धान्‍त के बिना राजनीति, नैतिकता के बिना शिक्षा और श्रम के बिना पैसा कमाना, पाप के समान है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने देश की स्वतंत्रता के लिए जो योगदान दिया है उसे हम सब कभी भुला नहीं सकते हैं।
श्रीमती हरप्रीत रंधावा ने बताया कि महात्मा गांधी को ‘भारत के पिता’ की उपाधि दी गई क्योंकि उन्होंने अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अहिंसा एवं सत्‍य का मार्ग अपनाया।
कार्यक्रम प्रभारी डॉ. संजय आर्य ने बताया कि गांधीजी ने भारत को आजादी दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति कई आन्दोलन के लिये लोगोँ को प्रेरित किया। महात्मा गांधी  वास्तव में अहिंसा के सिद्धांत के प्रवर्तक थे। बापू ने हमेशा अहिंसा के महत्व के बारे में लोगों को उपदेश दिया करते थे कि देश मे लोग आपस मे भाईचारे के रूप से मिलकर रहे जिससे देश मे शांति बनी रहे व देश प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता रहे।
भौतिक शास्त्र विभाग के श्री शिरीष परसाई ने बताया कि महात्मा गांधी, जीवन मूल्यों के श्रेष्ठतम प्रयोगकर्ता थे, आपने प्रयोग से प्राप्त परिणामों को समाज में सिद्धांत के रूप में विकसित किया। यह सिद्धांत हर परिस्थिति में प्रासंगिक हैं और रहेंगे।
स्‍वामी विवेकानन्‍द कॅरियर मार्गदर्शन प्रकोष्‍ठ प्रभारी, श्री अमित कुमार ने बताया की महा‍त्‍मा गांधी द्वारा प्रकाशित हरिजन पत्रिका के अंक में प्रकाशित वर्धा शिक्षा योजना में भी नैतिक शिक्षा एवं मातृ भाषा में शिक्षा का पुरजोर समर्थन किया गया था जो नीति 2020 प्राथमिक शिक्षा में मातृभाषा में शिक्षा देने का प्रावधान किया गया है जिसमें गांधी की शिक्षा नीति परि‍लक्षित होती है।
गांधी जयंती पर श्रीमती मंजरी अवस्थी, डॉ. पुनीत सक्‍सेना, डॉ. मुकेश चंद्र बिस्ट, श्री रविन्‍द्र चौरसिया, डॉ. शिखा गुप्‍ता, कु. सोनम शर्मा, कु. सरिता मेहरा, श्री हेमन्‍त गोहिया, श्री राजेश कुशवाह ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
गांधी जंयती पर गूगल मीट के माध्यम से छात्राओं द्वारा भाषाण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें प्रथम स्‍थान कु. दीपिका जनोरिया, द्वतीय स्‍थान कु. अदिति पटेल एवं तृतीय स्‍थान कु. रूपाली चौहान ने प्राप्‍त किया। तथा प्राचार्य द्वारा व्‍हाटसप के माध्‍यम से ई- सर्टिफिकेट छात्राओं को प्रेषित किये गये।
डॉ. आर.एस. मेहरा प्राचार्य

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