काव्य भाषा : शाश्वत सवाल – सत्येंद्र सिंह पुणे, महाराष्ट्र

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शाश्वत सवाल

हाथरस गैंग बलात्कार,
जुबान काटना,
प्रश्नों के घेरे में पुलिस द्वारा अंत्येष्टि
और रेप पीड़िता परिवार के
भयभीत सवाल,
कुछ विरोध और अदालती नाटक
कुछ दिनों बाद भुलभुलैया में स्वत: खो जाएंगे।
परंतु कुछ प्रश्न अनुत्तरित ही रहेंगे।
जैसे 64 परिवार के गांव में
केवल 4 ही वाल्मीकि परिवार ?
और वे गांव के बाहर भी दूर दूर?
असुरक्षित, भूमिहीन, निर्वाह हीन
उनके बच्चे स्कूल तो जाते हैं
पर घूम कर गांव के बाहरी दूसरे रास्ते से
क्यों जाते हैं?
स्कूल में गांव के सभी बच्चों के साथ
क्यों नहीं बैठते?
गांव के बच्चे उनके साथ क्यों नहीं खेलते?
वे ऐसे क्यों रहते हैं जैसे गांव वालों के लिए उनका कोई अस्तित्व ही न हो?
उन वाल्मीकियों को कोई छूता नहीं
खाना पीना साथ नहीं
पर उनकी महिलाओं/बेटियों के साथ सोने/
न मानने पर
उनका बलात्कार करने में
कोई परहेज़ नहीं,
छूआछूत नहीं।
माननीय सभ्यता पर लगा
यह दाग़
दूर करने का स्थाई उपाय क्यों नहीं?
कब सुलझेंगे
ये शाश्वत सवाल।

सत्येंद्र सिंह
पुणे, महाराष्ट्र

2 COMMENTS

  1. नमस्ते सर,

    मैं श्री राम अवतार जी की बेटी सीमा सिंह ने अपनी एक कविता आपको भेजी थी क्या वह आपको मिल गई है?
    अवगत कराने की कृपा करें।

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