काव्यभाषा : जिन्दगी से वादा – शिव शिल्पी,रायसेन

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जिन्दगी से वादा!

तूफान चाहे जितने आएं ,सह लेंगे हम हद से ज्यादा।
नहीं करेंगे आत्महत्या ,करते हैं हम जिन्दगी से वादा।।

सत्य असत्य चौसर के मोहरे,दोनों का है अलग इरादा।
सदैव सत्य अपनाएंगे ,करते हैं हम जिन्दगी से वादा।।

भूलेंगे न संस्कारों को, गर बन भी जाएं हम शहजादा।
भूलेंगे न मात पिता को,करते हैं हम जिन्दगी से वादा।।

नहीं करेंगे किसी की हानि, हम रखें हमेशा नेक इरादा।
सदा करेंगे परोपकार, करते हैं हम जिन्दगी से वादा।।

सद्गुणों को धारण करके ,फिर करें मंजिल का इरादा।
चलेंगे अहिंसा पथ पर ,करते हैं हम जिन्दगी से वादा।।

आधुनिकता के संसार में, भौतिकवाद है इतना ज्यादा।
संस्कृति कभी न भूलेंगे,करते हैं हम जिन्दगी से वादा।।

जिन्दगी की राहों में कर्तव्यनिष्ठ रहने का है मेरा इरादा।
बनेंगे बेसहारे का सहारा,करते हैं हम जिन्दगी से वादा।

शिव शिल्पी
पता:-
ग्राम: चैनपुर
तह: बाड़ी
जिला: रायसेन(मध्यप्रदेश)

6 COMMENTS

  1. संस्कृति कभी न भूलेंगे…
    बहुत सुंदर भावनायुक्त रचना के लिए हार्दिक बधाई शिव शिल्पी जी !!!
    आज के भौमिकतावाद में सांस्कृतिक मूल्यों को संजोए रखने की अत्यंत आवश्यकता है।

  2. भाई शिव शिल्पी जी, भौमिकतावाद को स्पष्ट कर दूं कि भौमिकतावाद ने विभिन्न संस्कृतियों को निकट तो ला दिया है किन्तु मूल भारतीय संस्कृति के समक्ष भौतिकतावाद का संकट ला खड़ा किया है और मूल भारतीय संस्कृति के सार्वभौमिक मूल्यों के लिए चुनौती उत्पन्न कर दी है।
    आपकी रचना इस संकट का निदान प्रस्तुत करने का रास्ता दिखा रही है।

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