काव्यभाषा : कोरोना तुम कौन हो? -पूजा सचिन धारगलकर,गोवा

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कोरोना तुम कौन हो?

कोरोना तुम कौन हो?
कोरोना आखिर हमें बता ही दो,
तुम कौन हो?
क्या, मानव विकास की गति को,
थामने आए एक काल हो,
या मानव प्रकृति के अत्याचार,
को मिटाने आए एक वरदान हो
कोरोना तुम कौन हो….
मानव जाति का विकास,
करने आए एक नूर हो, या
समस्त मानव जाति को मिटाने आए
एक ब्रह्मास्त्र हो,….
चलती हँसती जिंदगी का तुमने,
रुख ही मोड लिया,
वही कितनी गाड़ियों को तुमने
एक पल में सामान कर दिया
लोग अचानक घरों में कैद हो गए,
और पशु-पक्षी सड़कों पर खुले आम
आज़ाद हो गए….
आखिर हमें बता ही दो, तुम कौन हो ?
क्या तुम ईश्वर का कोई वरदान हो
या काल के भेजे हुए कोई दूत हो,
आने वाले बदलाव का दस्तक हो
या होने वाले बर्बादी का एक पैगाम हो
मानव को तुमने कर दिया गुलाम,
और सिखाया उसे मानवता का अभिराम….
सुना है तुम बड़े स्वाभिमानी हो,
बिना बुलाए तुम कही जाते नहीं हो
अपने ही घर में बने,
अजनबीपन को तुमने मिटा दिया
वही कितनों को तुमने बेसहारा कर दिया…
कोरोना तुम कौन हो ?
तुम एक वरदान हो, की एक अभिशाप हो
कोई समस्या हो, की समाधान हो
प्रकृति विनाश को थामने आए एक हाथ हो,
या मानव विनाश को करने आए एक हथियार हो
कॉरोना, तुमने अनेक घरों को उजाड़ दिया
अनेक माँओं से उनका लाल छिन लिया
किसी के सिर से छाया छिन लिया
तो किसी रक्षक को बेमौत कफन दे दिया
ऐसे में तुम समाधान नहीं
समस्या से लगते हो
कोई वाइरस नहीं, किसी मुनि का श्राप लगते हो….
मानव जाति को मिटाने आए
एक कालचक्र लगते हो
मजदूरों पर जुल्म करते
अत्याचारी लगते हो
एक तरफ विकास की गति,
रुक सी गई है
दुनिया थोड़ी पीछे खिसक सी गई है
पर देखो,
लोग भूले रिश्ते याद करने लगे है
लोग अपने माँ-बाबा के पास
फिर से जाने लगे हैं
धन से ज्यादा कीमती है जान,
यह लोग समझने लगे है
कोरोना तुम कौन हो,
कोरोना आखिर बता ही दो,
तुम कौन हो ?

पूजा सचिन धारगलकर
इ.डब्ल्यू.एस 247, हनुमान मंदिर के पास, हाउसिंग बोर्ड रुमडामोल दवर्लिम सालसेत (गोवा) -403707
संपर्क – 9356437855
ईमेल- pujadhargalkar7@gmail.com

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