प्रेम में पगी हुई हिंदी अपनी गूंज समस्त सृष्टि पर सर्वत्र बिखेरती रहे – अनुपमा अनुश्री

261

Email

प्रेम में पगी हुई हिंदी अपनी गूंज समस्त सृष्टि पर सर्वत्र बिखेरती रहे … अनुपमा अनुश्री

हिंदी का सूर्य कभी अस्त नहीं होता –  प्रो सरन घई ,अध्यक्ष -विश्व हिंदी संस्थान कनाडा

आरंभ चैरिटेबल फाउंडेशन एवं विश्व हिंदी संस्थान ,कनाडा चैप्टर मध्य प्रदेश के तत्वावधान में आज हिंदी दिवस के अवसर पर “आरंभ- हिंदी की गूंज” कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें सभी प्रमुख साहित्यकारों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया और हिंदी का उत्सव ऑनलाइन मनाया।
विविध विधाओं कविताएं, ग़ज़ल ,लघु आलेख में सभी रचनाधर्मियों ने अपनी अभिव्यक्ति की ।सभी ने एक सुर में कहा कि हमारी आन बान शान हिंदी बने राष्ट्रभाषा ।यही है जन-जन की अभिलाषा।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सरन घई ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिंदी जनमानस में गहरे तक बैठी हुई ऐसी भाषा है जिसे अपने जीवन से ,अपने मानस से दूर करना बहुत मुश्किल है और बाधाएं चाहे कितनी भी आएं, लेकिन सच यही है कि हिंदी का सूरज का भी अस्त नहीं होता।

वही हिंदी का जयघोष किया कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार उर्मिला मिश्र ने हिंदी का जयघोष किया;- नहीं है मांग कि अंग्रेजी या अन्य भाषाओं को हटाओ। चाह यही है कि हिंदी हमारी भाषा का विश्व में परचम लहराओ।।

वही विशिष्ट अतिथि डॉ माया दुबे जी ने अपनी पंक्तियां हिंदी को समर्पित करते हुए कहा ; – सब भाषाओं का मुक्ताहार ।
हिंदी से हम सबको प्यार ।
कैसे हिंदी सब आंचलिक बोलियों और भाषाओं को लेकर प्रवाहित हो रही है सुंदर रूप से यह वर्णित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही अनुपमा अनुश्री ने अपने उद्बोधन में कहा ;-

हिंदी पूरे देश को एक सूत्र में बांधने वाली ऐसी उत्कृष्ट ,मधुर और मां के आंचल की छांव देने वाली भाषा है जो अपनी सुगंध सदियों से फैला रही है और दिग दिगंत तक फैलाएगी ।हिंदी भाषा में हमारी गौरवशाली संस्कृति- सभ्यता के बीजांकुर हैं ,जिन्हें हमें अपनी नई पीढ़ी में संचरित और पल्लवित करना है।
महात्मा गांधी ने कहा ” राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है” हिंदी को सम्मान, उसका स्थान, राष्ट्रभाषा के रूप में दिया जाना अति आवश्यक है।

सभी रचनाकारों ने बढ़ चढ़कर आज हिंदी की गूंज सर्वत्र बिखेरी अपनी भाव प्रवण ,मर्मस्पर्शी हिंदी को समर्पित रचनाओं के माध्यम से।

कार्यक्रम की शुरुआत में बिंदु त्रिपाठी ने सभी साहित्यकारों को अपनी कविता में एक माला के रूप में पिरोते हुए हुए सुंदर रचना पेश की!:-जन जन के मन में मीरा है तो ,महादेवी और सुभद्रा। हे मातृभूमि की हिंदी ।भारत के भाल की बिंदी।

हिंदी पर अभिमान हमें
हिंदी है जन-जन की भाषा
@ उषा चतुर्वेदी

मेरी गहराई क्या नाप सकोगे आंग्ल विधा को रटने वालो।
मेरी थाह क्या पा पाओगे।
मैं जन जन की भाषा,
जन जन की वाणी में मुखरित। @उषा सोनी

सुख तो हिंदी भाषा में है जिसका कोई मोल नहीं है।@मृदुल त्यागी

मन हिंदी विचार हिंदी।
इस देश का गौरव गान हिंदी।।@किरण खोड़के

हिन्द हमारा वतन, हिंदी हमारी जान है। हिंदी हमारी प्रेरणा ,हिंदी हमारी आन है@ ओरिना अदा

हिंदी है माथे की बिंदी
जिसका रूप विशाल है
हिंदी के ही दम पर देखो
भारत का उन्नत भाल है@शेफालिका श्रीवास्तव

हिंदी में आंचलिकता की खुशबू बिखेरते हुए मधुलिका सक्सेना ने अपनी रचना बुंदेली में पढ़ी; -मेरी काव्य पंक्तियां
“नीकी जा हिंदी हमने जानी
री गुईयाँ मोहे भोतई जा भानी”

हिन्दी का सम्मान करें हम आओ मिल कर शान से।
हिन्दी बने राष्ट्र की भाषा,
कहें यही अभिमान से ।।
@ श्यामा देवी गुप्ता दर्शना

मै रोज हिंदी से आचमन करती हूं,मै रोज हिंदी का ही पाठ पढ़ाती हूं।मुझे नहीं कहना केवल आज हिंदी दिवस है ,
मै तो रोज हिंदी दिवस मनाती हूं।
@ मनीषा व्यास

हिंदी में पढ़ लिखकर हिंदी अक्षरों पर चित्र बना रिकॉर्ड बना डाला।@रेखा भटनागर

कार्यक्रम की संचालिका रचना श्रीवास्तव ने कहा कि हमें निरंतर प्रयास अभी जारी रखना होगा हिंदी कोश का स्थान मान सम्मान दिलाने के लिए। वही शोभा ठाकुर जी ने अपने लघु आलेख में अपने विचार अभिव्यक्त किए ;- जन जन की भावनाओं का प्रतिबिंब है हिंदी जो विश्व के एक सौ पचास देशों में पढ़ी-लिखी बोली जाती है। राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। अंत में आभार प्रदर्शन बिंदु त्रिपाठी द्वारा किया गया।

2 COMMENTS

  1. बहुत ही बढ़िया , हिंदी समृद्धि की ऊंचाई को छू रही है परंतु साथ में अपना रुप भी बदल रही है । लिपि अब देवनागरी के बजाए अंग्रेजी पकड़ रही है ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here