काव्यभाषा : हिन्दी -सीमांचल त्रिपाठी,सूरजपुर

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हिन्दी

हिन्दी है सरस विषय,
मैं बैठ समझाऊँ।
हिंदी है राष्ट्रभाषा,
बात पते की करजाऊँ।।

जो अंग्रेजी बोल के,
अपने पर हैं इठलाते।
जरूरत पर हिन्दी के,
दो शब्द बोल कहा पाते।।

हिंदी हमारी मातृभाषा,
हिंदी हमारी आन और शान।
हिंदी से ही तो हिन्द बना,
और बना प्यारा हिंदुस्तान।।

जब बोलना शुरू करुं तो,
पहली शब्द माँ बोल जाऊँ।
जब अंत समय आए तो,
राम नाम जप जाऊँ।।

सारे रिश्तों वाले शब्द,
हैं राष्ट्र व्यापी हिन्दी में।
सुबह से शाम तलक,
बात करते हम हिन्दी में।।

घर हो या बाहर हम,
अंग्रेजी को अपना रहे।
अपनों के सामने अंग्रेजियत,
का दिखावा हम कर रहे।।

अंग्रेजी तो ठहरी बिदेशी भाषा,
जिसकी कोई ओर ना छोर।
मां को मम्मी तो पापा को डेड,
बना रिश्तों को मचा रखा शोर।।

फिर जाने हम क्यूं,
हिंदी को छोड़ भाग रहे।
हिंदी दिवस मनाकर,
परम्परा को याद कर रहे।।

सीमांचल त्रिपाठी
प्रधान पाठक
शास0 पूर्व मा0 शाला रुनियाडीह
विकासखंड/जिला- सूरजपुर(छ0ग0)
मो0- 9926645266

1 COMMENT

  1. बेहतरीन रचना सर जी । हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाए आपको।

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