

सरोकार : क्या शासकीय सेवा निवृत्त अधिकारी-कर्मचारी ऐसा नहीं कर सकते
मेरे एक अत्यंत आदरणीय परिचित व्यक्ति हैं जो सेवानिवृत्त अधिकारी है उनसे जब भी मिलते हैं तो कोई ना कोई सकारात्मक बात होती है। उनकी बिंदास जीवन शैली मुझे बहुत प्रभावित करती है। उनके साथ बहुत बार कुछ विशेष कार्यों में साथ रहने का अवसर मिला और उनके साथ रहने पर जो कुछ भी बने हासिल किया है। आज मैं उनके ही एक विचार को लेकर के बात को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा हूं। उनका कहना है कि सेवानिवृत्ति के बाद क्या एक सेवानिवृत्त अधिकारी या कर्मचारी को मिलने वाली पेंशन के विरुद्ध कुछ काम करना चाहिए। कुछ कड़े शब्द भी थे जिन्हें सुनकर में संबंधित लोगों को शायद बुरा भी लग सकता है। कड़े शब्दों में उन्होंने यह बात कही है लेकिन उनकी बात का जो मतलब निकलता है वह दरअसल यह है कि हमारे जैसे अधिकारी कर्मचारियों ने सरकारी सेवा करते हुए सेवानिवृत्ति प्राप्त की और अब उससे पेंशन भी पा रहे हैं पेंशन पाने का मतलब यह है कि सरकार ने हमारे लिए एक जीवन पर्यंत सम्मान राशि तय कर दी जिसके माध्यम से हम समाज में सर उठा कर के दे सकते हैं अपने घर परिवार में अपने किए गए कार्य के प्रति मिलने वाले प्रतिफल के बल पर सम्मान के साथ जी सकते हैं लेकिन क्या ऐसा नहीं करना चाहिए कि यह जो पैसा सरकार से हमें पेंशन के रूप से मिल रहा है जो वास्तव में जनता के द्वारा दिए गए टेक्स्ट से के बदले में मिल रहा है इसके बदले में जो कुछ भी हमने अपनी सेवाओं में सीखा है या अनुभव प्राप्त किया है जो भी एक्सपेटाइज हमारे पास में आई है हमें लोगों की मदद के लिए आगे आना चाहिए इस गहरी बात को समझने की जरूरत है जो लोग शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त हुए हैं और शिक्षा के क्षेत्र में मदद करने के लिए आगे आए हैं जो लोग कृषि क्षेत्र से रिटायर हुए हैं कृषि विभाग से रिटायर हुए लोगों की मदद के लिए आगे आए जो उद्यानिकी विभाग से निकले हैं यानी कि के बारे में लोगों से बात करें जो लोग सड़क परिवहन विभाग से निकले हैं वह परिवहन व्यवस्था को सुधारने को लेकर के बाहर निकले जो लोग खाद्य विभाग से बाहर निकले हैं वह खाद्य प्रसंस्करण के बारे में बात करें कुल मिलाकर के जहां भी क्षेत्र से उन्होंने सेवा करते हुए सेवानिवृत्ति प्राप्त की है और जनता के टैक्स के बदले में वह सुरक्षित जीवन के बदले में तो क्या उनका फर्ज नहीं रहता कि उन्हें समाज में जा करके उसके बदले में कुछ योगदान करना चाहिए बिना किसी प्रतिफल के जी हां विनायक के प्रतिफल के यह बहुत जरूरी है क्योंकि प्रतिफल के रूप में मिल रहा है खाली समय में बैठकर केवल मोदी राहुल की बात करने राजनीति की बात करने अमेरिका की बात करने की बात करने जैसी चीजों को छोड़कर समाज से जुड़कर के समाज के लिए कुछ करना क्या एक सेवानिवृत्त कर्मचारी अधिकारी का दायित्व नहीं होना चाहिए।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।

आदरणीय महोदय,
सेवा निवृत महोदय जिनका आपने जिक्र किया है उन्हें शत शत नमन ।
ऐसा विचार स्वागत योग्य है । मेरा निजी मत है कि सेवा निवृति पश्चात् अयने विशिष्ट ज्ञान से समाज सेवा करना अत्यंत ही सराहनीय कार्य है और हर भारत वासी को इसके लिये संभव प्रयास करना चाहिये ।
लेकिन आपके लेख से ऐसा प्रतीत होता है कि महोदय चाहते हैं कि इसे नियम कं दायरे में लाया जाये जो उचित नहीं है ।
यहाँ मेरा मत है कि जिस किसी भी भारतीय नागरिक को समाज सेवा करना है चाहे वह सेवा में हो या सेवा निवृत हो बिना किसी हिचक के सेवा करना चाहिये । केवल सेवारत व्यक्ति सेवा के नियमों के अन्तर्गत ही समाज सेवा कर सकते हैं।