
बरखा रानी
बरखा रानी,बरखा रानी
छम – छम लाती पानी।
बरखा रानी बड़ी सयानी
फसलों को देती पानी।
पेड़ पौधे पर लाती घानी
धरती हरी बनाती रानी।
खुशी कही पहुचाती हानि
ताल-तलैया भरती पानी।
पेड़ झुक-झूम करते मनमानी
कोकिल मधुर सुनाती वाणी।
बादलों में छा जाता पानी ।
सबके मन को हर्षाता पानी।
कोयल मधुर तान सुनाती।
लोगो के मन को भाती।
चातक की पियास बुझाती।
बरखा रानी बरखा रानी।
चातक-प्यास बुझाती पानी।
तुमसे जीवन बड़ भागमानी।
जीवों पर करती मेहरबानी।
बरखा – रानी बरखा – रानी।
✍🏼गुरुदेव डहरिया
धरदेई जांजगीर- चाम्पा(छ. ग)

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।