
जय गुरुदेव
भटके राही को भी जो सीरत दे।
बिगड़े सूरत को खूबसूरत कर दे।
शिक्षक वह महान शिल्पकार है।
जो अनगढ़ मिट्टी को सुन्दर मूरत दे।1।
वचन मधुर,जीवन धन्य करे उजियार।
केवल आगे बढ़ना सीखाये,न माने हार।
कोयला को कोहिनूर सा जो चमका दे।
उनके चरणों में शत शत बार नमस्कार।2।
दीपक बनकर जो मन का अंधियारा मिटाए।
सौदागर बनकर प्रगति के नित सपने दिखाए।
कलम को तलवार,किताब को ढाल बना।
हमेशा जीवन जीने की कला सिखाए।3।
भले-बुरे का ज्ञान कराकर,करे मूढ़ता दूर।
ढपली ताल में भी भर दे जो मधुर कर्णप्रिय सुर।
पद-प्रतिष्ठा-पदवी की मान-सम्मान बढ़ाने।
शंका समाधान खातिर,श्रम करे भरपूर।4।
सुन्दर लाल डडसेना”मधुर”
ग्राम-बाराडोली(बालसमुंद),पो.-पाटसेन्द्री
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देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।