

प्रेम
तुम्हारा होना जीवन में
बाढ़ के पानी में
सुखी भूमि का
मिल जाना है
तुमसे पहले
इतनी व्याकुलता थी
की अपनी हृदय का कम्पन भी
अप्रिय था
तुम्हारा होना
शून्य के होने जैसा है मेरे जीवन में
जहाँ तुम्हारा मुझसे जुड़ना
असंख्य बनता चला गया …
मैं बबूल था
जिससे लिपट पड़ी तुम
और असंख्य पीड़ाओं को सहकर
मुझे अपना प्रेम – चंदन बना दिया |
© सत्यम सोलंकी
पटना

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
