काव्यभाषा : प्रतीक्षा -डॉ संगीता तोमर इंदौर मध्यप्रदेश

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प्रतीक्षा

जिस पल से यह जनम लिया है
जीवन का हर क्षण प्रतीक्षा
कब यह समाप्त होगी
मुक्त होना माया से
है लक्ष्य इसका या
मोक्ष मिलने की प्रतीक्षा

तृषा निरंतर रहती है
अभिभाव भावनाओं का चहुं ओर
पर क्षाद्र है भाव
कैसे बुझे यह पिपासा
एक घूंट अनुराग की अपेक्षा
वेदना कम होने की प्रतीक्षा
जीवन काल का यथार्थ प्रतीक्षा
जीवन कथा का सार प्रतीक्षा
जो गुणी जाने मर्म
वहीं मोक्ष का जाने भेद
आस लगाना, बाट जोहना
जो है उसमें और की प्रतीक्षा
दुखद समय के अंत की अपेक्षा
सुखद क्षणों की आस लगाना
आकांक्षाओं के समुद्र में डूबते तैरते
भवसागर पार जाने की प्रतीक्षा

डॉ संगीता प्रतीक्षा
जिस पल से यह जनम लिया है
जीवन का हर क्षण प्रतीक्षा
कब यह समाप्त होगी
मुक्त होना लक्ष्य इसका
मोक्ष मिलने की प्रतीक्षा

तृषा निरंतर रहती है
अभिभाव भावनाओं का चहुं ओर
पर क्षाद्र है भाव
कैसे बुझे यह पिपासा
एक घूंट अनुराग की अपेक्षा
वेदना कम होने की प्रतीक्षा
जीवन काल का यथार्थ प्रतीक्षा
जीवन कथा का सार प्रतीक्षा
जो गुणी जाने मर्म
वहीं मोक्ष का जाने भेद
आस लगाना, बाट जोहना
जो है उसमें और की प्रतीक्षा
दुखद समय के अंत की अपेक्षा
सुखद क्षणों की आस लगाना
आकांक्षाओं के समुद्र में
डूबते तैरते
भवसागर पार जाने की प्रतीक्षा

डॉ संगीता तोमर
इंदौर मध्यप्रदेश

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